किताब न कैलेंडर, सेशन हो गया शुरू, जुलाई तक भी किताबें मिलना मुश्किल : अभी सिर्फ टेक्निकल बिड ही हुई, फाइनेंशियल बिड अभी तक नहीं; ऐसे में चार महीने का वक्त छपाई में औरलग सकता
- किताब न कैलेंडर, सेशन हो गया शुरू,
- जुलाई तक भी किताबें मिलना मुश्किल
- अभी सिर्फ टेक्निकल बिड ही हुई,
- फाइनेंशियल बिड अभी तक नहीं
- ऐसे में चार महीने का वक्त छपाई में औरलग सकता
प्राइमरी स्कूलों का नया सत्र कागजों पर ही शुरू हुआ है। एक अप्रैल से सत्र शुरू करने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन खुद विभाग अभी तक नए सत्र के अनुसार अपना शैक्षिक कैलेंडर भी तैयार नहीं कर पाया है। तिमाही, छमाही और वार्षिक परीक्षाएं कब से होंगीं, कुछ भी अभी तय नहीं है। बच्चों को नई किताबें तीन महीने पहले मिल जानी चाहिए थीं लेकिन इस बार पहले के मुकाबले किताबों का वितरण और लेट होता जा रहा है।
किताबों के लिए पिछले वर्षों में मार्च तक पुस्तक नीति जारी हो जाती थी और उसके बाद छपाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। तब जुलाई तक किताबें बच्चों को मिल पाती थीं। इस साल तो पुस्तक छपाई की प्रक्रिया और लेट हो गई है। एक बार टेंडर स्थगित करने के बाद दोबारा फिर जारी किया गया। अभी सिर्फ टेक्निकल बिड ही हुई है। फाइनेंशियल बिड ही अभी तक नहीं हो पाई है। ऐसे में चार महीने का वक्त छपाई में और लग जाएगा। इस बार अप्रैल में बच्चों को किताबें देनी थीं लेकिन वह जुलाई में भी नहीं मिल पाएंगीं। फिलहाल बेसिक शिक्षा सचिव एचएल गुप्ता ने पुरानी किताबें ही बंटवाने के आदेश दे दिए हैं। जब नई किताबें आंएगी तो वह बच्चों को बंटवा दी जाएंगी।
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
किताब न कैलेंडर, सेशन हो गया शुरू, जुलाई तक भी किताबें मिलना मुश्किल : अभी सिर्फ टेक्निकल बिड ही हुई, फाइनेंशियल बिड अभी तक नहीं; ऐसे में चार महीने का वक्त छपाई में औरलग सकता
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:40 AM
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