डीए की घोषणा विलंब से होने से लाखों शिक्षक और कर्मचारी फिर उठाएंगे नुकसान, समय से डीए की घोषणा करने या डीए के एरियर पर ब्याज देने की मांग
- लाखों कर्मचारी फिर उठाएंगे नुकसान
- डीए की घोषणा विलंब से होने से नाराजगी
प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण सूबे के लाखों राज्यकर्मियों को फिर नुकसान उठाना पड़ेगा। महंगाई भत्ते (डीए) की घोषणा विलंब से होने से जहां एक अप्रैल 2005 के पूर्व सेवा में आए कर्मचारियों को एरियर पर मिलने वाले ब्याज का घाटा हो रहा है। वहीं, एक अप्रैल 2005 के बाद सेवा में आने वाले कर्मचारियों का एरियर कहां जा रहा है, जानकारी देने वाला कोई नहीं। इससे कर्मचारियों में नाराजगी भी है।
एक जनवरी 2015 से डीए में छह फीसद की वृद्धि हुई है जिससे डीए बढ़कर 113 प्रतिशत हो गया है। केंद्रीय कर्मियों के लिए सरकार ने डीए की घोषणा कर दी है और इन्हें वेतन के साथ ही नकद मिलता है। लेकिन अप्रैल बीतने को है, अभी तक राज्य कर्मियों के लिए प्रदेश सरकार ने डीए की घोषणा नहीं की है। खास यह कि राज्यकर्मियों के लिए डीए की घोषणा जब भी होगी, उस महीने तक की धनराशि बतौर एरियर उसके फंड में जमा हो जाती है। लेकिन उस पर ब्याज, डीए की घोषणा तिथि से ही मिलता है। जबकि नकद अगले महीने के वेतन के साथ जुड़कर मिलना शुरू होता है। तय तिथि से ब्याज न मिलने से कर्मचारियों को काफी नुकसान होता है।
यह हाल एक अप्रैल 2005 के पूर्व सेवा में आने वाले कर्मचारियों का रहता है। जबकि इसके बाद सेवा में आने वाले कर्मचारियों की डीए की रकम का 10 फीसद नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में जमा होने का प्रावधान है। इतनी ही रकम सरकार द्वारा भी जमा करने का प्रावधान है। लेकिन ज्यादातर विभागों में एनपीएस में कटौती नहीं हो रही है। एरियर की 90 फीसद रकम एनएससी के रूप में दिया जाना है। मगर ज्यादातर डाकघरों में ई-पेमेंट सुविधा होने से एनएससी नहीं बन पा रही है। ऐसे में इन कर्मचारियों को या तो नकद मिल जा रहा है अथवा किसी दूसरे के खाते में जा रहा है जिससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है। राज्य कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव ने समय से डीए की घोषणा करने अथवा पूर्व की तरह तय तिथि से डीए के एरियर पर ब्याज देने की मांग की है।
एक जनवरी 2015 से डीए में छह फीसद की वृद्धि हुई है जिससे डीए बढ़कर 113 प्रतिशत हो गया है। केंद्रीय कर्मियों के लिए सरकार ने डीए की घोषणा कर दी है और इन्हें वेतन के साथ ही नकद मिलता है। लेकिन अप्रैल बीतने को है, अभी तक राज्य कर्मियों के लिए प्रदेश सरकार ने डीए की घोषणा नहीं की है। खास यह कि राज्यकर्मियों के लिए डीए की घोषणा जब भी होगी, उस महीने तक की धनराशि बतौर एरियर उसके फंड में जमा हो जाती है। लेकिन उस पर ब्याज, डीए की घोषणा तिथि से ही मिलता है। जबकि नकद अगले महीने के वेतन के साथ जुड़कर मिलना शुरू होता है। तय तिथि से ब्याज न मिलने से कर्मचारियों को काफी नुकसान होता है।
यह हाल एक अप्रैल 2005 के पूर्व सेवा में आने वाले कर्मचारियों का रहता है। जबकि इसके बाद सेवा में आने वाले कर्मचारियों की डीए की रकम का 10 फीसद नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में जमा होने का प्रावधान है। इतनी ही रकम सरकार द्वारा भी जमा करने का प्रावधान है। लेकिन ज्यादातर विभागों में एनपीएस में कटौती नहीं हो रही है। एरियर की 90 फीसद रकम एनएससी के रूप में दिया जाना है। मगर ज्यादातर डाकघरों में ई-पेमेंट सुविधा होने से एनएससी नहीं बन पा रही है। ऐसे में इन कर्मचारियों को या तो नकद मिल जा रहा है अथवा किसी दूसरे के खाते में जा रहा है जिससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है। राज्य कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव ने समय से डीए की घोषणा करने अथवा पूर्व की तरह तय तिथि से डीए के एरियर पर ब्याज देने की मांग की है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
डीए की घोषणा विलंब से होने से लाखों शिक्षक और कर्मचारी फिर उठाएंगे नुकसान, समय से डीए की घोषणा करने या डीए के एरियर पर ब्याज देने की मांग
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:03 AM
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