प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को अब तीन साल में मिलेगी पहली पदोन्नति : शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए सरकार का फैसला
- प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को अब तीन साल में मिलेगी पदोन्नति
- सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने जारी किया आदेश
- शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए सरकार का फैसला
- कुछ दिनों पहले ही चार वर्ष में पदोन्नति का लिया गया था निर्णय
लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को अब तीन साल में पदोन्नति मिल जाएगी। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने शनिवार को इसके औपचारिक आदेश जारी कर दिए। कुछ दिनों पहले ही पांच वर्ष के बजाय चार वर्ष में पदोन्नति का निर्णय लिया गया था। लेकिन अब इसे घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए किया गया है।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी इस आदेश में कहा गया है कि जिन शिक्षकों का शिक्षण अनुभव तीन वर्ष हो चुका है और उस जिले में रिक्तियां उपलब्ध हैं तो ऐसे शिक्षकों को दो वर्ष की छूट प्रदान करते हुए पदोन्नति की कार्यवाही की जाए। दरअसल, प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति पांच वर्ष के बाद ही होती थी। लेकिन बीती 26 मार्च को ही सचिव ने एक वर्ष की छूट देने का आदेश जारी किया था। एक वर्ष की छूट देने पर ज्यादा शिक्षक इस दायरे में नहीं आ रहे थे। इसलिए अनुभव में छूट दो वर्ष की कर दी गई है। इससे जिलों में सहायक अध्यापकों के और अधिक पद खाली हो जाएंगे। इसमें शिक्षा मित्रों का समायोजन किया जाएगा। चूंकि दूसरे चरण में 91104 शिक्षा मित्रों का समायोजन होना है। इसमें सहायक अध्यापद पद की तुलना में 22 हजार शिक्षा मित्र अधिक हैं। इसलिए सरकार पदोन्नति कर सहायक अध्यापक के पद खाली करवा रही है।
सचिव ने यह भी आदेश दिए हैं कि पदोन्नति की कार्यवाही पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए। जिनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही हो, उन्हें किसी भी कीमत पर प्रमोशन न दिया जाए। साथ ही उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के प्रावधानों के अनुसार चयन समिति के जरिए पदोन्नति करने को कहा है।
खबर साभार : अमर उजाला
खबर साभार : डेली न्यूज़ नेटवर्क
- अब तीन साल के शिक्षण अनुभव वाले शिक्षक भी पा सकेंगे पदोन्नति
- बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने जारी किया आदेश
लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में खाली पदों पर शिक्षण
अनुभव होने के बाद पदोन्नति के लिए अब शिक्षकों को चार साल का अनुभव होने
तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा परिषद ने विशेष परिस्थितियों में
शिक्षण अनुभव चार साल से घटाकर तीन साल कर दिया है। अब तीन साल का शिक्षण
अनुभव पूरा होने पर शिक्षकों को रिक्त पदों के सापेक्ष पदोन्नति मिल सकेगी।
इस संबंध में परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने शनिवार को बेसिक शिक्षा
अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं।
उन्होंने कहा है कि पदोन्नति की
कार्रवाई 10 मई तक पूरी करनी होगी। प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय
में सहायक अध्यापक के खाली पड़े पदों पर शिक्षकों की पदोन्नति के लिए
शैक्षिक अनुभव पांच साल का होना अनिवार्य था। इसके तहत खाली पद होने पर भी
शैक्षिक अनुभव पांच साल का पूरा न होने की वजह से शिक्षकों की पदोन्नति
नहीं हो पा रही थी। इस समस्या को देखते हुए बीते 26 मार्च को परिषद ने आदेश
जारी किया था कि जिन शिक्षकों का शिक्षण अनुभव चार वर्ष पूरा हो चुका है
और जनपद में रिक्तियां उपलब्ध हैं। ऐसे शिक्षकों को एक वर्ष की छूट प्रदान
की जाएगी। अब उस आदेश को भी संशोधित कर दिया गया है।
नए आदेश के अनुसार जिन
शिक्षकों का शिक्षण अनुभव तीन साल पूरा हो चुका है और जनपद में रिक्तियां
उपलब्ध हैं, ऐसे शिक्षकों को दो साल की छूट प्रदान करते हुए पदोन्नति की
कार्यवाही की जाएगी। परिषद केसचिव संजय सिन्हा ने निर्देश दिए हैं कि जनपद
में उपलब्ध रिक्तियों को दृष्टिगत रखते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालयों में
विज्ञान-गणित शिक्षकों के आवंटित पदों को छोड़कर शेष पदों पर पदोन्नति की
कार्यवाही 10 मई तक पूरी करनी होगी। पदोन्नति में पूर्णत: पारदर्शिता बरती
जाए।
खबर साभार : डेली न्यूज़ नेटवर्क
प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को अब तीन साल में मिलेगी पहली पदोन्नति : शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए सरकार का फैसला
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:04 AM
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