सरकारी कर्मचारी उठा रहे स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल, निजी स्कूलों जैसी हो सुविधा तो ही एडमिशन को होंगे तैयार, आदेश लागू करने से पहले स्कूलों की हालत सुधारने की बात
- सरकारी कर्मचारी उठा रहे स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल
- निजी स्कूलों जैसी हो सुविधा तो बने बात
- 400 से ज्यादा शिक्षक रहते हैं बीएलओ ड्यूटी में
सरकारी सेवा कर रहे लोगों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के कोर्ट के आदेश को विधान परिषद में सरकार ने लागू करने की सहमति जता दी है। सरकार के मंत्री भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की बात कह रहे हैं, लेकिन इन स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि न कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे यहां अपने को ढाल पाएंगे न पुराने छात्र उनके हिसाब से ढल पाएंगे। सरकारी कर्मचारी भी दबी जुबान में यह कह रहे हैं कि यह आदेश लागू करने से पहले स्कूलों की हालत भी सुधारी जाए ताकि बच्चों को कोई असुविधा न हो।
- ये हैं तकनीकी पेच:
इस व्यवस्था को लागू करने में कई तकनीकी पेच हैं। निजी स्कूलों में नर्सरी से पढ़ाई होती है जबकि सरकारी स्कूलों में सीधे कक्षा एक से। अगर कोई बच्चा निजी स्कूल में कक्षा एक में है तो इसका मतलब कि वह स्कूल में तीन साल पढ़ चुका है और यह उसका चौथा साल है। वहीं, सरकारी स्कूलों में कक्षा दो में ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें एबीसीडी भी नहीं आती। ऐसे में शिक्षक या तो गरीब बच्चों को नजरअंदाज कर कॉन्वेंट से आए बच्चों के हिसाब से पढ़ाएं और गरीब बच्चों के हिसाब से पढ़ाने पर कॉन्वेंट के बच्चे पीछे हो जाएंगे।
- इंफ्रास्ट्रक्चर :
- अनुशासन :
निजी स्कूलों में बच्चों की एक-एक गतिविधि की मॉनीटरिंग होती है। पैरंट्स मीटिंग होती है, जिसमें बच्चों की स्थिति पर चर्चा होती है। सरकारी स्कूल में आने-जाने का कोई अनुशासन नहीं। तीन-चार शिक्षको पर 500 बच्चों का भार। ऐसे में मॉनीटिरिंग तो संभव ही नहीं।
- शिक्षक :
निजी स्कूलों में हर क्लास में निर्धारित बच्चों पर एक शिक्षक होता है। उसकी अनुपस्थिति पर दूसरे शिक्षक पढ़ाते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में एक शिक्षक तीन-तीन कक्षाएं तक पढ़ाते हैं।
मेरा बेटा निजी स्कूल में पढ़ता है। मैं सरकारी स्कूल में अपने बच्चे को तब पढ़ाऊंगा, जब यहां शहर के आला अधिकारी, नेता और स्कूलों के शिक्षक भी अपने बच्चे को पढ़ाएंगे। तभी व्यवस्था सुधरेगी। - प्रदीप कुमार गुप्ता, कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक
मेरा बेटा शाश्वत सीएमएस में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। बेहतर पढ़ाई, साफ-सफाई और स्वस्थ सांस्कृतिक माहौल के कारण मैं यहां पढ़ा रहा हूं। ये व्यवस्था किसी भी सरकारी स्कूल नहीं है। - अलंकार रस्तोगी, शिक्षक, अग्रसेन इंटर कॉलेज
मेरा बेटा जिस स्कूल में वहां तकनीक के इस्तेमाल के साथ खेल-कूद की व्यवस्था वहां है। हम सरकारी स्कूल बच्चे को पढ़ाने के साथ वहां डोनेशन भी देंगे, लेकिन व्यवस्था तो सही हो। - अनुराग मिश्र, शिक्षक, क्वींस इंटर कॉलेज
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
सरकारी कर्मचारी उठा रहे स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल, निजी स्कूलों जैसी हो सुविधा तो ही एडमिशन को होंगे तैयार, आदेश लागू करने से पहले स्कूलों की हालत सुधारने की बात
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:17 AM
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