अधर में प्राथमिक शिक्षकों की तबादला नीति : आधे शैक्षिक सत्र बाद तबादला होने से पढ़ाई पर पड़ेगा असर
एक लाख से अधिक शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग का इन्तजार, आधे शैक्षिक सत्र बाद तबादला होने से पढ़ाई पर पड़ेगा असर
इलाहाबाद। शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू हो या अप्रैल से, क्या फर्क
पड़ता है। शिक्षा विभाग के अफसर अपनी ही शैली में काम करेंगे। विश्वास न
हो तो परिषदीय स्कूलों की तबादला नीति को ही ले लें। आधा
शैक्षिक सत्र बीतने जा रहा है, अब तक शिक्षकों के तबादले की नीति पर मुहर
नहीं लग पाई है। यदि अब शासन ने तेजी दिखाई तो इस सत्र में पठन-पाठन की
उम्मीद छोड़ ही दीजिए, क्योंकि ‘मास्साब’ सब काम बंद कर अपना पता-ठिकाना
दुरुस्त कराने में जुट जाएंगे।
प्रदेशभर के करीब दो लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में इस समय लगभग सात लाख शिक्षक तैनात हैं। इनमें तमाम शिक्षक व शिक्षिकाएं हैं जो ब्लाक, तहसील, जिले या फिर एक से दूसरे जनपद में तबादला चाहते हैं।
ऐसे शिक्षकों की संख्या अधिक होने का कारण पिछले कुछ वर्षो में स्थानांतरण नीति का न बनना है। पिछले वर्ष ही दिसंबर महीने तक तबादला नीति का शिक्षकों ने टकटकी लगाकर इंतजार किया, आखिरकार शासन ने सत्र को शून्य घोषित कर दिया। हालांकि पिछले साल 72 हजार शिक्षकों की भर्ती होने के कारण प्रक्रिया को रोका गया था। उस समय कहा गया था कि इस भर्ती के बाद ही तबादले किए जाएंगे। भर्ती प्रक्रिया इतनी लंबी खिंची कि पूरा सत्र उसी में बीत गया।
मौजूदा शैक्षिक सत्र नए तेवर के साथ अप्रैल महीने में ही शुरू किया गया। करीब दो महीने तक छात्र-छात्रओं के नामांकन एवं शिक्षण कार्य के बाद छुट्टियों में स्कूल बंद हो गए, लेकिन अफसरों को शिक्षकों के स्थानांतरण समायोजन की चिंता नहीं हुई। छुट्टियों के दौरान ही यह कार्य पूरा हो जाता तो इसका असर पठन-पाठन पर नहीं पड़ता। बहरहाल, बेसिक शिक्षा परिषद की तबादला नीति शासन स्तर पर लंबित है।
प्रदेशभर के करीब दो लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में इस समय लगभग सात लाख शिक्षक तैनात हैं। इनमें तमाम शिक्षक व शिक्षिकाएं हैं जो ब्लाक, तहसील, जिले या फिर एक से दूसरे जनपद में तबादला चाहते हैं।
ऐसे शिक्षकों की संख्या अधिक होने का कारण पिछले कुछ वर्षो में स्थानांतरण नीति का न बनना है। पिछले वर्ष ही दिसंबर महीने तक तबादला नीति का शिक्षकों ने टकटकी लगाकर इंतजार किया, आखिरकार शासन ने सत्र को शून्य घोषित कर दिया। हालांकि पिछले साल 72 हजार शिक्षकों की भर्ती होने के कारण प्रक्रिया को रोका गया था। उस समय कहा गया था कि इस भर्ती के बाद ही तबादले किए जाएंगे। भर्ती प्रक्रिया इतनी लंबी खिंची कि पूरा सत्र उसी में बीत गया।
मौजूदा शैक्षिक सत्र नए तेवर के साथ अप्रैल महीने में ही शुरू किया गया। करीब दो महीने तक छात्र-छात्रओं के नामांकन एवं शिक्षण कार्य के बाद छुट्टियों में स्कूल बंद हो गए, लेकिन अफसरों को शिक्षकों के स्थानांतरण समायोजन की चिंता नहीं हुई। छुट्टियों के दौरान ही यह कार्य पूरा हो जाता तो इसका असर पठन-पाठन पर नहीं पड़ता। बहरहाल, बेसिक शिक्षा परिषद की तबादला नीति शासन स्तर पर लंबित है।
- शिक्षकों से मांगे जाएंगे विकल्प
‘यह जरूरी नहीं है कि तबादले जून माह में ही पूरे कर लिए जाएं। शासन से नई तबादला नीति जल्द आने की उम्मीद है। इस बार शिक्षामित्रों के समायोजन के बाद ही तबादला नीति बनी है उसके पहले तबादलों का कोई मतलब नहीं था’
-स्कंद शुक्ल, उप सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद
‘प्रदेश के हजारों शिक्षक इस नीति के आने का इंतजार कर रहे हैं। इस संबंध में कई बार विभागीय मंत्री को लिखा जा चुका है। यदि शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग मिलेगी तो उसका असर पढ़ाई पर दिखेगा। सरकार को इसमें देर नहीं करनी चाहिए’
-लल्लन मिश्र, प्रांतीय अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश।
अधर में प्राथमिक शिक्षकों की तबादला नीति : आधे शैक्षिक सत्र बाद तबादला होने से पढ़ाई पर पड़ेगा असर
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
10:04 AM
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