बस्ते का बोझ कम करने और एनसीसी ट्रेनिंग पर सभी राज्य तैयार, फेल नहीं करने की नीति को समाप्त करने की भी केब ने की सिफारिश
- बस्ते का बोझ कम करने और एनसीसी ट्रेनिंग पर राज्य तैयार
- फेल नहीं करने की नीति को समाप्त करने की सिफारिश
- अध्यापकों की नियुक्तियों को लेकर राज्यों के साथ अक्तूबर में होगी बैठक
- सरकारी स्कूलों की बेहतरी व तकनीकी शिक्षा को लेकर बनाई उप समितियां
- सभी राज्यों ने इस नीति को खत्म करने पर सहमति जताई
नई दिल्ली विशेष संवाददाताशिक्षा के अधिकार कानून के तहत कक्षा आठवीं तक
फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय
शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में सभी राज्यों ने इस मुद्दे पर आम राय
व्यक्त की है। अगले 15 दिनों में राज्यों से लिखित अनुरोध देने को कहा गया
है। उसके बाद केंद्र इस पर आगे बढ़ेगा।बैठक के बाद मानव संसाधन विकास
मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि सारे राज्य इस मुद्दे पर एकमत थे कि फेल
नहीं किए जाने के प्रावधान से उनमें पढ़ने-लिखने और सीखने की प्रवृत्ति घट
रही है। पिछली सरकार ने इस मुद्दे पर एक उप समिति गठित की थी जिसके सदस्य
बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही इस बैठक में भी मौजूद थे। शाही ने बताया
कि किस प्रकार शिक्षकों एवं अभिभावकों ने भी उनके समक्ष इस नीति के
दुष्प्रभावों के बारे में चिंता जताई थी।
साभार हिंदुस्तान |
नई दिल्ली। स्कूली बच्चों पर बस्ते का बोझ कम करने और नेशनल कैडेट कोर यानी एनसीसी ट्रेनिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर राज्य सरकार तैयार हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से बस्ते का बोझ कम करने के तरीके सुझाने के लिए कहा है। साथ ही तमिलनाडु और कर्नाटक के मॉडल को अपनाने पर भी मंत्रालय ने जोर दिया है। इस मॉडल के तहत रिफरेंस यानी अतिरिक्त किताबें और कंप्यूटर या टैबलेट के जरिए पढ़ाई करने के तौर तरीकों पर जोर दिया गया है। वहीं राज्यों को एनसीसी ट्रेनिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में अतिरिक्त पाठ्यक्रम क्रियाकलाप के तौर पर शामिल करने को लेकर राज्य सरकारों से रोडमैप मांगा गया है। साथ ही मंत्रालय ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की वापसी, सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने और तकनीकी शिक्षा को लेकर तीन उप समितियां गठित की है। इनमें राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को शामिल किया गया है। वहीं अध्यापकों की नियुक्तियों को लेकर राज्यों के साथ अक्तूबर में बैठक करने की बात कही गई है।
स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को वापस लाने को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उप समिति बनाई है। यह समिति मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अध्यक्षता में गठित की गई है। इनमें त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, हरियाणा के शिक्षा मंत्रियों के अलावा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। सरकारी स्कूलों में बच्चों के नतीजों को बेहतर बनाने और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए उप समिति बनाई है। साथ ही कौशल विकास को लेकर भी मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इन समितियों में राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जिन राज्यों ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने सुझाव नहीं भेजे है, उन्हें जल्द ऐसा करने को कहा गया है ताकि दिसंबर तक नई शिक्षा नीति का मसौदा सामने आ जाए। कांग्रेस शासित राज्यों के शिक्षा का भगवाकरण के आरोपों पर ईरानी ने कहा कि उन्हें सभी राज्यों से सहयोग मिला है। ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति देखी गई है। उनके सामने किसी ने विरोध नहीं किया। वहीं शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ाने को लेकर ईरानी ने कहा कि पिछली सरकार ने इसे लेकर उप समिति बनाई थी। इस समिति का काम पूरा नहीं हुआ। इसलिए आम सहमति बनी है कि इस समिति का पुनर्गठन हो।
खबर साभार : अमर उजाला
- शिक्षा के क्षेत्र में देश की अग्रणी सलाहकार इकाई ने की सिफारिश
- फेल नहीं करने की नीति को समाप्त करने की सिफारिश
नई दिल्ली (भाषा)। शिक्षा के क्षेत्र में देश की अग्रणी सलाहकार इकाई ने बुधवार को आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति को वापस लेने और दसवीं में बोर्ड की परीक्षा की व्यवस्था को पुन: बहाल करने का समर्थन किया। लेकिन सरकार इस सिफारिश पर अमल करने की जल्दी में दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि उसने राज्यों से लिखित में अपने विचार पेश करने को कहा है। नवगठित केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड (कैब) ने दिनभर चली बैठक के बाद कैब की उप समिति की सिफारिशों के मद्देनजर सर्वसम्मति से कक्षा दर कक्षा आगे बढ़ाने की नीति को फिर से पेश करने पर सहमति जताई और कहा कि फेल नहीं करने की नीति ने शिक्षण के नतीजों को गलत तरीके से प्रभावित किया है।
हालांकि बैठक की अध्यक्षता करने वाली मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक नोट लगाया कि उनका मंत्रालय राज्यों से औपचारिक रूप से लिखित में उनके विचार मिलने के बाद ही व्यापक रुख अपनाएगा। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने सर्वसम्मति से इस नीति को रद्द करने की अपील की। लेकिन सभी हमें लिखित में 15 दिन से लेकर एक महीने के भीतर जवाब दें। उन्होंने साथ ही कहा कि इस समय किसी भी प्रकार की अटकलबाजी से केवल छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होगी। यदि यह फैसला लागू हो जाता है तो इसे क्रियान्वित करने में समय लगेगा क्योंकि ऐसा होने पर संसद को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन करना होगा। वर्ष 2010 में इस अधिनियम को लागू करने के बाद फेल नहीं करने और दसवीं की बोर्ड की परीक्षा को वैकल्पिक बनाने की व्यवस्था लागू की गई थी। यह पूछे जाने पर कि यदि दसवीं बोर्ड परीक्षा को फिर से बहाल किया जाता है तो क्या फेल नहीं करने की नीति रद्द कर दी जाएगी, ईरानी ने हां में जवाब दिया। कुछ राज्य पहले ही राज्य के नियमों में जरूरी संशोधन करके इस नीति को रद्द कर चुके हैं।
खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट |
बस्ते का बोझ कम करने और एनसीसी ट्रेनिंग पर सभी राज्य तैयार, फेल नहीं करने की नीति को समाप्त करने की भी केब ने की सिफारिश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:07 AM
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