उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को चार साल से नहीं मिले शिक्षक, आरटीई मानकों के अनुसार स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती दूर कौड़ी, पदस्थापन तक नहीं
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई की स्थिति बदतर है। प्रदेश
में बसपा सरकार के दौरान 27 जुलाई 2011 को निशुल्क एवं अनिवार्य
बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया, लेकिन चार साल बीतने के
बावजूद शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
आरटीई मानकों के अनुसार स्कूलों में
शिक्षकों की तैनाती तो दूर सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं, जहां एक-एक शिक्षक कक्षा
एक से पांच तक के सारे विषय पढ़ा रहे हैं। भारी कमी के बावजूद शिक्षकों से
गैर शैक्षणिक काम लिया जा रहा है जिसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।नियम के
अनुसार प्राथमिक स्कूलों में दो और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में
विज्ञान/गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा के कम से कम तीन शिक्षक होने चाहिए।
इसके साथ ही प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक 30 बच्चों पर एक और उच्च प्राथमिक
स्तर पर प्रत्येक 35 बच्चों पर एक अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान
है। याची शिव कुमार पाठक ने कहा कि सरकार को आरटीई के मानक का पालन करना
चाहिए। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों पर तत्काल नियुक्ति हो।
खबर साभार : हिन्दुस्तान
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को चार साल से नहीं मिले शिक्षक, आरटीई मानकों के अनुसार स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती दूर कौड़ी, पदस्थापन तक नहीं
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:32 PM
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