नेताओं-अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए बनेगा कानून : विधान परिषद में बृहस्पतिवार को सदस्यों के सवाल पर सरकार ने किया आश्वस्त
विधान
परिषद में बृहस्पतिवार को सदस्यों के सवाल पर सरकार ने आश्वस्त किया कि
मंत्रियों और अधिकारियों सहित सरकारी खजाने से वेतन लेने वाले सभी लोगों के
बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून जल्द ही बनाया
जाएगा। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह ने सपा के देवेंद्र
प्रताप सिंह के सवाल पर यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने
सूबे में प्रति एक किलोमीटर पर प्राइमरी स्कूल की सुविधा मुहैया करा दी है।
देवेंद्र प्रताप ने सवाल किया था कि
मंत्री, अफसर और सरकारी खजाने से वेतन लेने वाले अन्य सभी लोगों के बच्चों
को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार
क्या कार्रवाई कर रही है। मंत्री ने जवाब दिया कि उच्च न्यायालय के फैसले
से इधर-उधर जाने का सवाल ही नहीं है। सरकार को फैसले की प्रति मिल गई है।
उसका अध्ययन किया जा रहा है। सरकार न्यायालय के फैसले के मुताबिक कानून
बनाने को कृतसंकल्प है।
खबर साभार : अमर उजाला
विधान परिषद में सरकार ने दिया आश्वासन
खबर साभार : दैनिक जागरण
हाई कोर्ट के फैसले का पालन करेगी सरकार
सरकारी सेवकों, जन प्रतिनिधियों के बच्चों को परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने का मामलाविधान परिषद में सरकार ने दिया आश्वासन
लखनऊ : हाई कोर्ट द्वारा सरकारी सेवकों, स्थानीय निकायों के
जनप्रतिनिधियों, न्यायाधीशों और राजकोष से वेतन व सुविधाएं पाने वाले लोगों
को अपने बच्चों को परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने के बारे में दिए गए आदेश का
सरकार पालन करेगी। गुरुवार को विधान परिषद में सरकार की ओर से यह आश्वासन
दिया गया।
प्रश्नकाल के दौरान सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने अनुपूरक प्रश्न किया कि सरकार कब तक हाई कोर्ट के फैसले को क्रियान्वित करेगी? जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश शिरोधार्य है। आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है, सरकार उस पर विचार कर रही है। न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा। ध्यान रहे, हाई कोर्ट ने 18 अगस्त को यह आदेश पारित करते हुए कहा था कि सरकारी खजाने से वेतन व सुविधाएं ले रहे बड़े लोगों के बच्चे जब तक प्राथमिक शिक्षा के लिए अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, तब तक इन स्कूलों की दशा नहीं सुधरेगी। अदालत ने सरकार को छह महीने में आदेश पर अमल का निर्देश दिया है।
अनुदान सूची में जूनियर हाईस्कूलों के लिए नीति तय नहीं : शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में स्थायी मान्यताप्राप्त जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने की कोई नीति निर्धारित नहीं है। इस मद में कोई वित्तीय व्यवस्था भी नहीं है। शिक्षक दल के ही हेम सिंह पुंडीर ने सरकार को याद दिलाया कि सपा ने ने अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का वादा किया था। उन्होंने जानना चाहा कि सरकार कब अपने वादे पर अमल करेगी। जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ही जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला किया जाएगा।
हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में दी जा रही योग की अनिवार्य शिक्षा : भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित के सवाल के जवाब में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल ने बताया कि हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में योग की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जा रही है। खेल और शारीरिक शिक्षा के लिए नियुक्त व्यायाम शिक्षक ही योग की शिक्षा दे रहे हैं। व्यायाम शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रक्रिया चल रही है। इस पर कांग्रेस के नसीब पठान ने कहा कि उन्होंने धीरेंद्र ब्रह्मचारी से योग सीखा है। यदि व्यायाम शिक्षक योग सिखायेंगे तो हाथ-पैर टेढ़े हो जाएंगे। इस पर नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि यदि किसी को डेंगू हो जाए तो उसके लिए अलग डॉक्टर तो नहीं रखा जाता। योग को लेकर चल रही तकरार के बीच नेता सदन अहमद हसन ने चुटकी ली कि भाजपा के एजेंडे में योग नहीं सूर्य नमस्कार है।
प्रश्नकाल के दौरान सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने अनुपूरक प्रश्न किया कि सरकार कब तक हाई कोर्ट के फैसले को क्रियान्वित करेगी? जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश शिरोधार्य है। आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है, सरकार उस पर विचार कर रही है। न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा। ध्यान रहे, हाई कोर्ट ने 18 अगस्त को यह आदेश पारित करते हुए कहा था कि सरकारी खजाने से वेतन व सुविधाएं ले रहे बड़े लोगों के बच्चे जब तक प्राथमिक शिक्षा के लिए अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, तब तक इन स्कूलों की दशा नहीं सुधरेगी। अदालत ने सरकार को छह महीने में आदेश पर अमल का निर्देश दिया है।
अनुदान सूची में जूनियर हाईस्कूलों के लिए नीति तय नहीं : शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में स्थायी मान्यताप्राप्त जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने की कोई नीति निर्धारित नहीं है। इस मद में कोई वित्तीय व्यवस्था भी नहीं है। शिक्षक दल के ही हेम सिंह पुंडीर ने सरकार को याद दिलाया कि सपा ने ने अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का वादा किया था। उन्होंने जानना चाहा कि सरकार कब अपने वादे पर अमल करेगी। जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ही जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला किया जाएगा।
हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में दी जा रही योग की अनिवार्य शिक्षा : भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित के सवाल के जवाब में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल ने बताया कि हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में योग की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जा रही है। खेल और शारीरिक शिक्षा के लिए नियुक्त व्यायाम शिक्षक ही योग की शिक्षा दे रहे हैं। व्यायाम शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रक्रिया चल रही है। इस पर कांग्रेस के नसीब पठान ने कहा कि उन्होंने धीरेंद्र ब्रह्मचारी से योग सीखा है। यदि व्यायाम शिक्षक योग सिखायेंगे तो हाथ-पैर टेढ़े हो जाएंगे। इस पर नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि यदि किसी को डेंगू हो जाए तो उसके लिए अलग डॉक्टर तो नहीं रखा जाता। योग को लेकर चल रही तकरार के बीच नेता सदन अहमद हसन ने चुटकी ली कि भाजपा के एजेंडे में योग नहीं सूर्य नमस्कार है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
नेताओं-अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए बनेगा कानून : विधान परिषद में बृहस्पतिवार को सदस्यों के सवाल पर सरकार ने किया आश्वस्त
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:15 AM
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