व्हाइटनर लगाने वालों का भविष्य हो सकता है स्याह, नौकरी पक्की मान चुके टीईटी 2011 के अभ्यर्थियों में मची खलबली, हाईकोर्ट ने दिया है जांच का आदेश
इलाहाबाद। प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हाल के दिनों में नौकरी पा चुके टीईटी-2011 के अभ्यर्थियों की घबराहट बढ़ गई है। टीईटी-2011 के दौरान ओएमआर पर व्हाइटनर लगाकर उत्तर में बदलाव करने वालों की पहचान करने के कोर्ट के निर्देश के बाद नौकरी पा चुके अभ्यर्थी परेशान हैं कि आखिर उनका क्या होगा। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में ओएमआर शीट पर व्हाइटनर प्रयोग की जांच का हाईकोर्ट ने आदेश दिया है।
टीईटी-2011 पास प्रशिक्षुओं की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके जिन अभ्यर्थियों ने व्हाइटनर का उपयोग किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। टीईटी-2011 पास करने वाले 58 हजार अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से घोषित 72825 शिक्षकों की भर्ती में नौकरी पा चुके हैं। इसके साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 29334 शिक्षकों की भर्ती में भी टीईटी-2011 पास करने वाले नौकरी पा चुके हैं। कार्ट ने यदि व्हाइटनर लगाने वालों पर कार्रवाई की तो 72825 शिक्षकों की भर्ती में नौकरी पा चुके हजारों अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे। इनके बाहर होने के बाद पूरी चयन प्रक्रिया के प्रभावित होने की संभावना है। इसी के साथ जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान-गणित शिक्षक की नौकरी पा चुके शिक्षकों का भी चयन प्रभावित हो सकता है।
हाईकोर्ट ने यूपी बोर्ड सचिव से इस बारे में छह माह के भीतर कॉपियों की जांच करवाकर व्हाइटनर का उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। यूपी बोर्ड की ओर से टीईटी का आयोजन 2011 में कराया गया था।
परीक्षा से पहले से व्हाइटनर एवं ब्लेड के प्रयोग पर रोक के निर्देश के बाद भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों ने व्हाइटनर लगाकर परीक्षा पास की।
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