60 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर : मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों से सामने आया सच

आरटीई कानून लागू होने के पांच साल बाद भी नाममात्र की बदली है तस्वीर 
नई दिल्ली (भाषा)। छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार के लागू होने के पांच वर्ष गुजरने के बाद भी 60.6 लाख बच्चे अभी भी स्कूल के दायरे से बाहर हैं जबकि देशभर में स्कूलों में वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करीब 21 लाख सीटों में से केवल 29 प्रतिशत सीटें ही भरी जा सकी हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत 2009 की तुलना में 2014 के अंत तक स्कूूली शिक्षा से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में 26 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। 2009 में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 81.5 लाख थी जो 2014 के अंत में घटकर 60.6 लाख रह गई है जिसमें लड़कियों की संख्या 28.9 और लड़कों की संख्या 31.6 लाख है। एनयूईपीए की रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी देश के करीब 10 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध नहीं है। 85.8 प्रतिशत स्कूलों में लड़कों के लिए उपलब्ध है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में स्कूलों में पेयजल एवं शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रगति हुई है हालांकि इनका रखरखाव एवं परिचालन गंभीर तथा आधारभूत सुविधा के निर्माण की खराब गुणवत्ता चिंता का विषय बना हुआ है। स्कूलों में स्वच्छता की दृष्टि से साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था करना भी चुनौतीपूर्ण है। वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अहमदाबाद, सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन, एकाउंटिबिलीटी इंनिशिएटिव और विधि सेंटर फार लीगल पालिसी की ‘स्टेट आफ नेशन : आरटीई सेक्शन 12 (1) (सी)’ रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी स्कूलों में वंचित वर्ग के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान स्पष्ट नहीं है। शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 12 (1) (सी) में आर्थिक एवं सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के बच्चों के लिए स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की बात कही गई है हालांकि इससे गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों को अलग रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 में भारत में वंचित वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित सीटों में से केवल 29 प्रतिशत ही भरी जा सकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में देशभर में स्कूलों में वंचित वर्ग के छात्रों के लिए कानून के इस उपबंध के तहत आरक्षित सीटों की संख्या 21,40,287 थी जिसमें से केवल 29 प्रतिशत ही भरी जा सकी हैं। दिल्ली में इस वर्ग में आरक्षित सीटों की संख्या 38,297 थी जिसमें से 92 प्रतिशत सीटें भरी गईं जबकि मध्यप्रदेश में 1,82,630 सीटों में से 88 प्रतिशत, राजस्थान में 2,26, 583 सीटों में से 69 प्रतिशत, गुजरात में 95,865 सीटों में से 42 प्रतिशत और कर्नाटक में 1,15,100 सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें ही भरी गई।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 को लागू करने में सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम मुख्य भूमिका निभाता है। यह संपूर्ण देश में स्तरीय बुनियादी शिक्षा की मांग को पूरा करने के लिए अपेक्षित कदम है, साथ ही इस कार्यक्रम के जरिए सामुदायिक स्वामित्व व्यवस्था एवं स्तरीय शिक्षा व्यवस्था के तहत सभी बच्चों में मानवीय क्षमताओं में सुधार लाने का एक प्रयास भी है। 

खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट

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60 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर : मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों से सामने आया सच Reviewed by Brijesh Shrivastava on 7:44 AM Rating: 5

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