प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता मामला : उत्तर प्रदेश सरकार ने माना-करेंगे पदावनति; राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब
आरक्षण मामला
- उत्तर प्रदेश सरकार ने माना-करेंगे पदावनति
- राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब
उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतत: सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार कर लिया कि जिन लोगों को रद हो चुके कानून के तहत आरक्षण का लाभ देकर प्रोन्नति दी गई थी, उन्हें पदावनत किया जाएगा। सोमवार को राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में नीतिगत फैसला ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2012 के फैसले में उप्र में प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता देने के कानून को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था। राज्य सरकार को उन लोगों को पदावनत करना था, जिन्हें इस कानून का लाभ देकर प्रोन्नति व परिणामी ज्येष्ठता दी गई थी। जब सरकार ने आरक्षण का लाभ पाकर प्रोन्नति पाने वाले कर्मचारियों को पदावनत नहीं किया तो सिंचाई विभाग के तीन कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।
क्या है मामला?
मायावती सरकार ने 2007 में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट सर्वेट सीनियरिटी थर्ड एमेंडमेंट रूल में धारा 8 (क) जोड़ी थी। इसमें एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और प्रोन्नति के साथ परिणामी ज्येष्ठता का प्रावधान किया गया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ करीब 50 याचिकाएं इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में दाखिल हुई और कुछ लोगों ने आदेश को हाई कोर्ट की प्रधान पीठ के समक्ष चुनौती दी।
कोर्ट ने जुलाई 2013 में प्रदेश सरकार को अवमानना याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार करीब डेढ़ साल से इस मामले में टालमटोल कर रही थी। पिछली सुनवाई पर 13 जनवरी को प्रदेश सरकार के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्र ने कोर्ट से कहा था कि सरकार जल्द ही इस बारे में नीतिगत फैसला लेगी। सोमवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो मेहरोत्र ने पीठ को बताया कि सरकार ने नीतिगत फैसला ले लिया है। उन्होंने नीतिगत फैसला कोर्ट में पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। जब याचिकाकर्ताओं के वकील कुमार परिमल ने समय दिए जाने पर आपत्ति नहीं जताई तो न्यायमूर्ति दीपक मिश्र व न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने सरकार को दो सप्ताह का समय दे दिया और मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी।
आदेश सभी महकमों के लिए :
याचिकाकर्ता के वकील कुमार परिमल का कहना है कि सरकार ने फिलहाल सिंचाई विभाग के लिए पदावनति आदेश जारी किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो सभी विभागों के लिए था। सरकार को सभी के लिए आदेश जारी करना चाहिए था।
मायावती सरकार ने 2007 में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट सर्वेट सीनियरिटी थर्ड एमेंडमेंट रूल में धारा 8 (क) जोड़ी थी। इसमें एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और प्रोन्नति के साथ परिणामी ज्येष्ठता का प्रावधान किया गया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ करीब 50 याचिकाएं इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में दाखिल हुई और कुछ लोगों ने आदेश को हाई कोर्ट की प्रधान पीठ के समक्ष चुनौती दी।
कोर्ट ने जुलाई 2013 में प्रदेश सरकार को अवमानना याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार करीब डेढ़ साल से इस मामले में टालमटोल कर रही थी। पिछली सुनवाई पर 13 जनवरी को प्रदेश सरकार के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्र ने कोर्ट से कहा था कि सरकार जल्द ही इस बारे में नीतिगत फैसला लेगी। सोमवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो मेहरोत्र ने पीठ को बताया कि सरकार ने नीतिगत फैसला ले लिया है। उन्होंने नीतिगत फैसला कोर्ट में पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। जब याचिकाकर्ताओं के वकील कुमार परिमल ने समय दिए जाने पर आपत्ति नहीं जताई तो न्यायमूर्ति दीपक मिश्र व न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने सरकार को दो सप्ताह का समय दे दिया और मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी।
आदेश सभी महकमों के लिए :
याचिकाकर्ता के वकील कुमार परिमल का कहना है कि सरकार ने फिलहाल सिंचाई विभाग के लिए पदावनति आदेश जारी किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो सभी विभागों के लिए था। सरकार को सभी के लिए आदेश जारी करना चाहिए था।
खबर साभार : दैनिक जागरण
प्रमोशन में कोटा : यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
'लिस्ट बन रही, होंगे डिमोशन'
राज्य सरकार कोर्ट को दो हफ्ते में बताए
कि उसने क्या नीतिगत फैसला किया है - सुप्रीम कोर्ट
यूपी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदेश में 2007 के कानून के मुताबिक प्रमोशन में आरक्षण पाए कर्मचारियों की लिस्ट तैयार की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के हिसाब से सरकार ने नीतिगत फैसला लिया है। ऐसे कर्मचारी जिनका प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के हिसाब से बाकी है, उन्हें प्रमोट किया जाएगा और जिनका प्रमोशन जजमेंट के दायरे से बाहर है, उन्हें डिमोट किया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार अपने फैसले के बारे में 2 हफ्ते में बताए। अदालत 4 हफ्ते बाद अगली सुनवाई करेगी।
यह है मामला
2007 में यूपी सरकार ने प्रमोशन में रिजर्वेशन से संबंधित कानून पारित किया था। इस कानून को कोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन की व्यवस्था को खारिज कर दिया था। सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए लार्जर बेंच के फैसले के हिसाब से होगा। इसके बाद सिंचाई विभाग के दो इंजीनियरों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर कहा था कि कोर्ट के ऑर्डर के बावजूद अभी तक सरकार कुछ नहीं कर रही है। यहां तक कि उसने कोई लिस्ट भी जारी नहीं की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 अप्रैल को अपना पक्ष रखने को कहा था।
प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता मामला : उत्तर प्रदेश सरकार ने माना-करेंगे पदावनति; राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:14 AM
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