मदरसा शिक्षक को सवेतन स्टडी लीव दिए जाने का मामला : हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने में नियम बनाने का दिया आदेश



लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में राज्य सरकार से कहा कि मदरसों के प्रशासन के लिए तीन महीने में नियम तय करे। अदालत ने सरकार और यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन को वर्ष 2004 केअधिनियम संख्या 29 केतहत मदरसों के लिए कायदे-कानून तय करने को कहा। कोर्ट ने राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी से आग्रह किया कि आदेश की जानकारी संबंधित अफसरों को उपलब्ध कराएं।
न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने यह आदेश मदरसा शिक्षक मोहम्मद मेराजुल हक की रिट का निपटारा करते हुए दिया। याची ने एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2015 तक वेतन सहित उच्च शिक्षा केलिए अवकाश दिए जाने की गुजारिश की थी। इससे पहले याची को इस मांग को अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक ने 3 फरवरी 2014 को खारिज कर दिया था। इस आदेश में निदेशक का कहना था कि चूंकि 1987 की संबंधित नियमावली में सवेतन शैक्षणिक अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी का कहना था कि कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराने वाला यह मुद्दा कभी सरकार केसंज्ञान में नहीं लाया गया। उन्होंने सहमति जताई कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने से न सिर्फ शिक्षक को फायदा होता है बल्कि इससे स्टूडेंट्स को भी लाभ मिलता है। साथ ही यह एकेडमिक संस्थानों के लिए उपलब्धि भी होती है। अदालत ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को याची केमामले में इस फैसले की रोशनी में गौर कर दो माह में समुचित निर्णय लिए जाने के निर्देश दिए हैं।

खबर साभार : अमर उजाला

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