परिषदीय स्कूलों की शिक्षा में होगा सुधार, गुणवत्ता में सुधार न होने पर शिक्षक से लेकर बीएसए तक की जिम्मेदारी, मुख्य सचिव ने दिये निर्देश
- परिषदीय स्कूलों की शिक्षा में होगा सुधार
- मुख्य सचिव ने अधिकारियों के साथ बैठक में दिए निर्देश
- गुणवत्ता में सुधार न होने पर शिक्षक से लेकर बीएसए तक की जिम्मेदारी
- ज़िम्मेदारी तय करते हुए उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही
- पढ़ाई खराब तो 'फेल' होंगे साहब
- आलोक रंजन ने की शिक्षा से जुड़े महकमों के कामों की समीक्षा
- मुख्य सचिव ने दिए निर्देश, अफसरों के एसीआर में लगेगा रेड मार्क
- बेसिक-माध्यमिक स्कूलों में गुणवत्ता के लिए अफसरों की तय होगी जवाबदेही
प्रदेश के बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई की दशा सुधारने के लिए शिक्षाधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी तय होगी। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता नहीं सुधरने पर टीचर से लेकर बीएसए तक की जिम्मेदारी तय कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। संसाधन से लेकर पढ़ाई तक की व्यवस्था दुरुस्त नहीं मिली तो उनकी एसीआर में रेड मार्क लगेगा। बेसिक शिक्षा निदेशक को खुद भी और मुख्यालय व फील्ड में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के संग निरीक्षण कर रिपोर्ट देनी होगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि मंडलीय और जनपदीय अधिकारी हर महीने 10 स्कूलों का औचक निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को देंगे। इस रिपोर्ट का तिमाही मूल्यांकन कर शिक्षाधिकारियों के एनुअल कैरेक्टर रोल (एसीआर) में दर्ज किया जाएगा। निरीक्षण के समय यह अनिवार्य रूप से देखा जाएगा कि एकेडमिक कैलेंडर के हिसाब से मंथली प्लान के अनुसार छात्रों को पढ़ाया गया है कि नहीं। शिक्षक डायरी का भी निरीक्षण जरूरी होगा।
साभार : एनबीटी |
साभार : डीएनए |
माध्यमिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि कक्षा 11 व 12 के कोर्स को अन्य सीबीएसई व आईसीएसी के बराबर करने के लिए संशोधित किया जाए। नवोदय विद्यालय पैटर्न पर कम से कम छह मॉडल स्कूलों को चलाने की कार्य योजना तैयार करते हुए प्रस्तुत की जाए। शैक्षिक गुणवत्ता के लिए स्कूलों के श्रेणीकरण की कार्यवाही सितंबर तक पूरी करा ली जाए। प्रदेश के चयनित 25 राजकीय इंटर कॉलेजों को सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स के रूप में विकसित किया जाए। राजकीय बालिका विद्यालयों में शौचालय व फर्नीचर की व्यवस्था कराई जाए। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों से कक्षा आठ पास करने वाली छात्राओं को माध्यमिक शिक्षा के लिए उपलब्ध कराए जाएं। बालिका छात्रावास योजनांतर्गत छात्रावासों का निर्माण शीघ्र शुरू करा दिया जाए। राजकीय इंटर कालेजों में अंग्रेजी की पढ़ाई के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएं। सड़क किनारे स्थित स्कूलों की बाउंड्रीवाल को सड़क की ऊंचाई को ध्यान में रखते हुए बनवाया जाए। जिससे सड़क पर खड़ा कोई व्यक्ति छात्र-छात्राओं को देख न सके।
परिषदीय स्कूलों की शिक्षा में होगा सुधार, गुणवत्ता में सुधार न होने पर शिक्षक से लेकर बीएसए तक की जिम्मेदारी, मुख्य सचिव ने दिये निर्देश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:58 AM
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