बच्चों को दूध पिलाने का गणित नहीं बता पाई यूपी सरकार, हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका, ख्रर्च बताएं वरना अदालत पारित करेगी आदेश
- बच्चों को दूध पिलाने का खर्च नहीं बता पाई यूपी सरकार
- हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका, ख्रर्च बताएं वरना अदालत पारित करेगी आदेश
प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के बच्चों को सप्ताह में एक दिन दूध पिलाने
की योजना पर होने वाला खर्च प्रदेश सरकार नहीं बता पाई है। दूध पिलाने की
योजना से जुड़ीं दूसरी जानकारियां जो अदालत द्वारा मांगी गई थीं, वह भी
नहीं बताई जा सकीं। मंगलवार को कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका
पर सुनवाई प्रारंभ हुई तो मुख्य न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता
वाली पीठ ने सबसे पहले सरकार के वकील से खर्च बाबत जानकारी मांगी। इससे
पहले के आदेश में पीठ ने सरकार से दूध पिलाने की योजना के मद में आने वाले
खर्च सहित दूध की गुणवत्ता और उपलब्ध आदि बातों की जानकारी मांगी थी।
सरकार के वकील ने बताया कि शासन से अभी इस संबंध में जानकारियां उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। पीठ ने सचिव बेसिक शिक्षा को एक और मोहलत देते हुए कहा कि 13 अगस्त तक यदि
सरकार जवाब दाखिल नहीं करती है तो अदालत अपनी ओर से आदेश पारित करेगी।
याची का कहना था कि अकेले कानपुर में ही एक दिन में दो लाख बच्चों को दूध
पिलाया जाता है। इसी प्रकार से प्रदेश भर में लाखों बच्चे हैं जिनको दूध
पिलाने के खर्च का यदि प्रबंध नहीं है तो दूध की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती
है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था दूध पिलाने पर आने खर्च कन्वर्जन कॉस्ट की
भरपाई कैसे की जाएगी।
खबर साभार : अमर उजाला
मिडडे मील में दूध खर्च का ब्योरा न दे सकी सरकार
मिड डे मील योजना में प्रत्येक बुधवार को बच्चों को 200
मिलीलीटर दूध पिलाने में होने वाले खर्च का ब्योरा राज्य सरकार मंगलवार को
हाईकोर्ट के समक्ष न रख सकी। अदालत ने बेसिक शिक्षा सचिव को इसके लिए एक
अवसर और दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आखिरी अवसर होगा। अगर उस
दिन भी स्पष्टीकरण नहीं आता तो आदेश पारित किया जाएगा। सुनवाई 13 अगस्त तक
के लिए टाल दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति
यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका पर इस
मामले की सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि 15 जुलाई को प्रदेश सरकार ने
मिड डे मील योजना में परिवर्तन कर बुधवार को बच्चों को 200 मिलीलीटर दूध
पिलाने का निर्णय लिया है। परंतु इस नीति को लागू करने में आने वाली लागत
से बच्चों को दूध नहीं पिलाया जा सकता। कोर्ट ने पिछली तारीख पर पूछा था कि
सचिव बेसिक शिक्षा बताएं कि दूध पिलाने में लगने वाली लागत (कन्वर्जन
कास्ट) की भरपाई सरकार कैसे करेगी। कोर्ट के आदेश के बाद भी सचिव बेसिक
शिक्षा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा सके। सिर्फ इतना कहा गया कि केवल
कानपुर में ही बुधवार को लगभग दो लाख बच्चों को दूध पिलाया जायेगा।
साभार : जागरण |
मिड डे मील में दूध पिलाने में खर्च का मामला
सचिव बेसिक को अंतिम मौका
सचिव बेसिक को अंतिम मौका
इलाहाबाद (विधि सं.)। मिड डे मील योजना में प्रत्येक बुधवार को बच्चों को
दो सौ मिलीग्राम दूध पिलाने की सरकारी नीति पर सचिव बेसिक शिक्षा द्वारा
कोर्ट को जानकारी उपलब्ध न कराने पर इस केस की सुनवाई 13 अगस्त 2015 तक
कोर्ट ने टाल दी। परन्तु कोर्ट ने कहा कि अगर इस दिन भी सचिव बेसिक शिक्षा
का इस मामले में स्पष्टीकरण नहीं आता तो कोर्ट उस दिन कोई आदेश पारित कर
देगी। याचिका पर आज कहा गया कि केवल कानपुर में ही बुधवार को लगभग दो लाख
बच्चों को दूध पिलाया जायेगा। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई.
चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने कानपुर के विनय कुमार
ओझा की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि 15 जुलाई 2015
को प्रदेश सरकार ने मिड डे मील योजना में परिवर्तन कर बुधवार को बच्चों को
दो सौ मिग्रा दूध पिलाने का निर्णय लिया है। परंतु इस नीति को लागू करने
में आने वाली लागत से बच्चों को दो सौ मिग्रा दूध नहीं पिलाया जा सकता। इस
कारण कोर्ट ने पिछली तिथि तक पूछा था कि सचिव बेसिक शिक्षा बताये कि दूध
पिलाने में आने वाली लागत (कनवर्जन कास्ट) की भरपाई सरकार कैसे करेगी।
कोर्ट के आदेश के बाद भी सचिव बेसिक शिक्षा ने कोर्ट में इस संबंध में कोई
जानकारी उपलब्ध नहीं करायी थी।
बच्चों को दूध पिलाने का गणित नहीं बता पाई यूपी सरकार, हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका, ख्रर्च बताएं वरना अदालत पारित करेगी आदेश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:41 AM
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