साथ रहने वाले पति-पत्नी दोनों एचआरए के हकदार, हाईकोर्ट ने सरकार की इस नीति को अपनी सहमति देते हुए इसके विरुद्ध दाखिल याचिका खारिज की
- साथ रहने वाले पति-पत्नी दोनों एचआरए के हकदार
इलाहाबाद
(ब्यूरो)। सरकारी नौकरी करने वाले पति-पत्नी यदि एक ही आवास में रह रहे
हैं तब भी दोनों आवास भत्ता पाने के हकदार होंगे। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार
की इस नीति को अपनी सहमति देते हुए इसके विरुद्ध दाखिल याचिका खारिज कर दी
है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी सेवा में कार्यरत पति और पत्नी यदि एक साथ
रह रहे हैं तब भी दोनों को आवास भत्ता देना सरकार का नीतिगत मामला है।
सरकार का निर्णय सामाजिक दृष्टि भी उचित प्रतीत होता है। याचिका आगरा के
भीम सिंह ने दाखिल की थी। इस पर मुख्य न्यायमूर्ति डाॅ. डीवाई चंद्रचूड और
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की।
याची
ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी 11 फरवरी 2015 के शासनादेश को चुनौती
दी थी। कहा गया कि जब पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं और एक ही शहर
में तैनात हैं तथा एक ही आवास में रह रहे हैं तो दोनों को आवास भत्ता देने
का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा
था। स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने बताया कि प्रदेश सरकार की नीति
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू नीति के अनुरूप है। राज्य सरकार की सेवा
में तैनात केंद्रीय कर्मचारियों को पति-पत्नी दोनों को एचआरए देने का
केंद्र सरकार का निर्देश है। इसी क्रम में राज्य कर्मचारियों की मांग पर
उनके लिए भी यह नीति लागू कर दी गई है। कोर्ट ने इसे सरकार का नीतिगत
निर्णय मानते हुए याचिका खारिज कर दी है।
खबर साभार : अमर उजाला
हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार की उस नीति को सही करार दिया है जिसमें एक ही
आवास में रहने वाले पति-प}ी को आवास भत्ता देने का प्रावधान किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी सेवा में कार्यरत पति और प}ी को साथ रहने के बावजूद
दोनों को आवास भत्ता देने का निर्णय सरकार का नीतिगत मामला है। यह आदेश
मुख्य न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की
खंडपीठ ने आगरा के भीम सिंह की याचिका पर दिया है। याची ने प्रदेश सरकार
द्वारा जारी 11 फरवरी 2015 के आदेश को चुनौती दी थी। कहा था कि सरकार
सरकारी सेवा में कार्यरत पति और प}ी दोनों को एक ही आवास में रहने के
बावजूद दोनों को आवास भत्ता दे रही है। इस नीति का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। स्थायी अधिवक्ता
रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार की नीति केंद्र सरकार
द्वारा अपनाई गई नीति के अनुरूप है। केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों को
जो राज्य सेवा में है, पति-प}ी दोनों को आवास भत्ता देती है। इसी के
मद्देनजर राज्य सरकार ने भी अपने कर्मचारियों के लिए वही नीति अपना ली है।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए सरकार की नीति को सही करार दिया है।
साथ रहने वाले पति-पत्नी दोनों एचआरए के हकदार, हाईकोर्ट ने सरकार की इस नीति को अपनी सहमति देते हुए इसके विरुद्ध दाखिल याचिका खारिज की
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:37 AM
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