यहां तो साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है बस्ते का बोझ, लोहिया के बाद अब सीएम को पढ़ाने की तैयारी में है सरकार



 लखनऊ : कभी रोड सेफ्टी, स्वास्थ्य और पर्यावरण तो कभी डॉ. राम मनोहर लोहिया तो कभी मुख्यमंत्री। यूपी में बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में लगातार इस तरह की किताबें या पाठ लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। हाल ही में एक स्कूल में डिंपल यादव के दौरे के दौरान बच्चे सीएम का नाम नहीं बता पाए। इस पर अब बेसिक शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि बच्चों को प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इसी तरह यूपी के सरकारी स्कूलों में भी बस्ते का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। यह तब हो रहा है, जब लगातार बस्ते का बोझ कम करने के दावे किए जा रहे हैं। इसके लिए कमिटियां बनीं, सुझाव मांगे गए लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। इसी तरह यूपी में बच्चों के बस्ते का बोझ कम होने की बजाय लगातार बढ़ता गया।  राष्ट्रीय स्तर पर बस्ते का बोझ कम करने के लिए कई बार प्रयास किए गए। वर्ष 2009-10 में इसके लिए सुझाव भी मांगे गए। प्रदेश भर में जिला प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यशालाएं हुईं। सुझाव भी आए लेकिन फिर भी बस्ते का बोझ कम नहीं हुआ। अब एक बार फिर सभी राज्यों में सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम की समीक्षा की जा रही है।  

 
ऐसे बढ़ता गया पाठ्यक्रम :-
  • कोर्ट के आदेश पर पर्यावरण का पाठ जोड़ा गया
  • कक्षा एक से अंग्रेजी विषय पढ़ाया जा रहा है तो इसकी एक किताब बढ़ गई
  • कक्षा एक से पांच तक दो-दो वर्क बुक बढ़ाई गईं
  • डॉ. राम मनोहर लोहिया पर एक नया पाठ इसी साल जोड़ा गया
  • स्वास्थ्य पर एक नई किताब बच्चों को पढ़ाने का निर्णय सरकार ले चुकी है
  • रोड सेफ्टी रूल्स पढ़ाने की तैयारी
  • प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बारे में जानकारी देने के लिए भी पाठ्यक्रम बढ़ाने की तैयारी  


बहुत पहले पाठ्यक्रम कम करने के लिए सुझाव मांगे गए थे। अब केंद्र की नई नीति का भी इंतजार है। साथ ही प्रदेश सरकार का जो निर्देश होगा, उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
-दिनेश बाबू शर्मा, बेसिक शिक्षा निदेशक

शिक्षा में भी सरकारें राजनीति करती हैं। सीबीएसई में पाठ्यक्रम लगातार अपडेट होता है। अगर कुछ बढ़ाया जाता है तो कम भी किया जाता है। पर बेसिक शिक्षा और यूपी बोर्ड में पाठ्यक्रम कम नहीं होता।
-डॉ़ आरपी मिश्र, प्रांतीय मंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ

बच्चों पर बस्ते का बोझ बढ़ता जा रहा है। सरकार को चाहिए कि अगर कोई पाठ या किताब बढ़ाई जाती है तो उतना ही कम भी करना चाहिए। जो अनुपयोगी हो चुका है, उसे हटा देना चाहिए। 
-विनय सिंह, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन


खबर साभार : नवभारत

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यहां तो साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है बस्ते का बोझ, लोहिया के बाद अब सीएम को पढ़ाने की तैयारी में है सरकार Reviewed by Brijesh Shrivastava on 6:00 AM Rating: 5

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