अंतर जनपदीय तबादले में वरिष्ठता का रोड़ा, शासन की मंशा है कि इस मसले को सुलझा कर ही हों तबादले
लखनऊ : चुनावी साल में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को एक से
दूसरे जिले में तबादले का मौका देने के मामले में अध्यापकों की वरिष्ठता का
मसला आड़े आ रहा है। शासन की मंशा है कि इस मसले को सुलझा कर ही इस सत्र
में शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादलों का आगाज किया जाए।
पिछले दो वर्षों
से अंतर जनपदीय तबादले से वंचित परिषदीय स्कूलों के शिक्षक एक से दूसरे
जिले में तबादले की मांग कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव की ओर से नजरें जमाए
सरकार भी शिक्षकों को खुश करने का मौका नहीं गंवाना चाहती है। लिहाजा
शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन को
प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव के तहत एक से दूसरे जिले में तबादले के लिए
शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिये जाएंगे। तबादले के लिए शिक्षकों को तीन
जिलों का विकल्प देना होगा। अंतर जनपदीय तबादले में दिव्यांग, बीमार और
महिला शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी। ऐसे शिक्षक जिनके पति या पत्नी किसी
दूसरे जिले में तैनात हैं या जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं,
उन्हें भी प्राथमिकता दी जाएगी।
परिषदीय शिक्षकों का पद जिला संवर्गीय
होता है। यानी वे एक ही जिले में नौकरी करते हैं। यदि किसी शिक्षक का दूसरे
जिले में तबादला होता है तो उसकी वरिष्ठता खत्म हो जाती है। वर्ष 2012 व
2013 में जिन शिक्षकों का एक से दूसरे जिले में तबादला हुआ था, वे अपनी
वरिष्ठता खोना नहीं चाहते। वे शासन से अपनी वरिष्ठता बरकरार रखने की मांग
कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शासन इस
मसले को तय करने के बाद ही अंतर जनपदीय तबादले की प्रक्रिया शुरू करेगा।
अंतर जनपदीय तबादले में वरिष्ठता का रोड़ा, शासन की मंशा है कि इस मसले को सुलझा कर ही हों तबादले
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:30 AM
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