राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) बच्चों से पूछेगा 'मन की बात', बच्चों की जरूरतें समझने और पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी
नई दिल्ली : बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली टॉप बॉडी नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) अब बच्चों को आईटी प्लेटफॉर्म देने के आइडिया पर काम कर रही है। महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत आने वाला यह कमिशन बच्चों की दिक्कतें जानने और उनके समधान के लिए बच्चों से ही सुझाव लेने की प्लानिंग कर रहा है।
एनसीपीसीआर के एक मेंबर ने कहा, 'बच्चे अपने बारे में हमें जितना बता सकते हैं उतना और कोई नहीं बता सकता। इससे उन्हें और उनकी जरूरतों को समझने और उसी हिसाब से पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी। यह आइडिया एक एनजीओ के कार्यक्रम से आया। जिसमें उन्होंने बच्चों से किसी भी टॉपिक पर उनके विचार लिखने को कहा। इसमें पाया गया कि ज्यादातर बच्चों ने एजुकेशन के बारे में लिखा।' उन्होंने कहा कि बच्चों में नशे की लत बढ़ रही है और कई बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं। ड्रग्स अब्यूज के बारे में अगर हम बच्चों से ही जानें तो हमें बेहतर इनपुट मिलेंगे। बच्चे हमें यह बता पाएंगे कि वह क्यों नशा करते हैं या उन्हें इसके बारे में क्या लगता है। इससे हमें उन्हें समझने में मदद मिलेगी।
एनसीपीसीआर मेंबर ने कहा, 'एक आईटी प्लेटफॉर्म होने से बच्चे कभी भी कहीं से भी उसमें अपनी बात लिख सकेंगे। जिसे एक्सपर्ट मॉनिटर करेंगे। इससे उन बच्चों की काउंसिलिंग भी हो सकेगी जो गलत राह पकड़ते हुए लग रहे होंगे। बच्चे क्या लिखते हैं और किस बात को किस तरह लिखते हैं इससे एक्सपर्ट्स उनकी मनोस्थिति भी समझ सकेंगे। जुवेनाइल क्राइम जिस तरह से बढ़ रहे हैं वह बैड मेंटल हेल्थ और बैड एनवायरमेंट का नतीजा है।'
उन्होंने कहा कि इससे वह बच्चे भी सामने आ पाएंगे जो या तो शर्म की वजह से या डर की वजह से किसी से कुछ बोल नहीं पाते। हमारी प्लानिंग है कि स्कूलों के जरिए भी बच्चों को उनके मन की बात कहने और लिखने के लिए प्रेरित किया जाए।
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