एक लाख परिषदीय शिक्षकों की घर वापसी पर लगा ब्रेक, एक साल की सेवा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए होगी जरूरी, बड़े शहरों के लिए भी राह होगी कठिन
नए नियुक्त हुए एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की 'घर वापसी' इस बार नहीं हो पाएगी। चार साल बाद होने जा रहे अंतरजनपदीय तबादलों के लिए विभाग ने जो प्रस्ताव भेजा है, उसके अनुसार एक साल की नौकरी जरूरी है। जो एक साल पूरा कर चुके हैं, वही तबादलों के लिए आवेदन कर सकेंगे। ऐसे में नए नियुक्त 29 हजार जूनियर शिक्षक और 72 हजार टीईटी शिक्षक सहित करीब एक लाख शिक्षक तबादला प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे।
प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में चार साल से अंतरजनपदीय तबादले नहीं हुए हैं। सरकार अब ये तबादले करने जा रही है। ऐसे में हर कोई अपने जिले में आना चाहेगा। इसको लेकर सरकार पर काफी दबाव होगा। इसी सिलसिले में तबादलों को लेकर पिछले दिनों शासन स्तर पर बैठक हुई। इसमें यह भी विचार किया गया कि पिछली बार की तरह तबादलों के बाद ज्यादा मुकदमे न हों। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर नीति तय करनी जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि नए का तबादला हो जाए और पुराने रह जाएं। इसे ध्यान में रखते हुए तय किया गया है कि अंतरजनपदीय तबादला उनका ही हो सकेगा जिनकी नौकरी एक साल की हो गई है।
जो शिक्षक लखनऊ, नोएडा, कानपुर नगर और मेरठ जैसे बड़े शहरों में तबादला करवाने की उम्मीद कर रहे हैं, उनको भी काफी मुश्किल होगी। इन जिलों में शिक्षकों की संख्या पहले से ज्यादा है। दरअसल, लखनऊ में पद बहुत कम है लेकिन राजधानी होने की वजह यहां रहने वाले ज्यादातर शिक्षक दूसरे जिलों में बहुत हैं। इसी तरह दिल्ली में रहने वालों तक का दबाव नोएडा, गाजियाबाद में तबादले के लिए रहता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक वहां भी शिक्षकों की संख्या पहले से ज्यादा है। इसी तरह का दबाव मेरठ और कानपुर नगर को लेकर भी है।
तबादला नीति में एक साल की नौकरी पूरी होने की शर्त रखी जाती है तो 72 हजार टीईटी शिक्षक इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। इनमें से करीब 57 हजार को तैनाती मिल चुकी है। ज्यादातर की तैनाती हुए पांच महीने या उससे कम वक्त हुआ है। अभी उनका प्रोबेशन ही पूरा नहीं हुआ। एक साल प्रोबेशन और उसके बाद एक साल की नौकरी पूरी होना जरूरी है। ऐसे में नियुक्ति तिथि से दो साल पूरा होना जरूरी है। इसी तरह 29 हजार जूनियर शिक्षकों का भी प्रोवेशन चल रहा है। इस दौरान भर्ती हुए 15 हजार बीटीसी शिक्षक भी बाहर हो जाएंगे। इस तरह एक लाख से अधिक शिक्षक इस तबादला प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे।
पिछली बार 2012 में अंतरजनपदीय तबादले हुए थे। यदि एक साल के भीतर नियुक्त नए शिक्षकों को तबादला प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा तो इन चार साल में नियुक्त 18 हजार शिक्षक बचेंगे। इसके अलावा जिनको पिछली बार मौका नहीं मिला। उन्हें फिर से मौका मिल सकता है। फिलहाल नए शिक्षकों को प्रक्रिया से बाहर करके अधिकारियों पर दबाव कम होगा।
सरकार को स्पष्ट नीति बनाकर वरिष्ठता के आधार पर ही तबादले करने चाहिए। पिछली बार की तरह न हो कि जूनियरों का तबादला हो जाए और पुराने रह जाएं। -विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष प्रशिक्षित शिक्षक स्नातक असोसिएशन
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