सरकारी शिक्षा को बदनाम कर रहा है केंद्र~ रामगोबिंद चौधरी : शैक्षिक अधिकारियों की संगोष्ठी

  • शिक्षा पर सरकारी नियंत्रण जरूरी
  • केन्द्र सरकार पैसे दे तो यूपी को शिक्षा में बना देंगे नंबर वन
  • शौचालय घोटालों की होगी जाँच
  • सूबे के 1.70 लाख शिक्षा मित्र बनेंगे शिक्षक
  • शिक्षकों को दुश्मन न मानें अफसर
  • परीक्षा में बच्चे वर्कबुक के पन्नों को कॉपी के रूप में प्रयोग करेंगे
  • अच्छे स्कूल और अफसर होगें पुरस्कृत
लखनऊ। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोबिंद चौधरी का गुबार मंगलवार को फट पड़ा। सर्व शिक्षा अभियान के बजट में की गई कटौती से वह भरे हुए थे। केंद्रीय अधिकारियों की उपस्थिति में चौधरी ने कहा कि सरकार को बदनाम किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं हो रहा...। सरकारी योजनाएं खराब हैं...। सरकारी शिक्षा खराब है...। प्राइवेट स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो रही है...। यह सब साजिश है। यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और सीबीएसई परीक्षाओं की चर्चा तक नहीं होती। सरकार को बदनाम करने का ट्रेंड शुरू हो गया है, ताकि सरकारी नियंत्रण समाप्त कर निजीकरण किया जा सके। सरकारी नियंत्रण जिस दिन खत्म हुआ, उस दिन अफरा-तफरी मच जाएगी। बेसिक शिक्षा मंत्री इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को शैक्षिक नियोजन एवं प्रशासन विषय पर शिक्षा अधिकारियों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो. आर. गोविंदा को पहले तो इस कार्यक्रम के लिए बधाई दी। कहा कि वे खुद चाहते थे कि सभी अधिकारी एक छत के नीचे जुटें और शिक्षा में सुधार के लिए रणनीति बनाएं। शिक्षा में क्रांति की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने भी माना है कि गणित और विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। उनकी चिंता जायज है। शिक्षा में वाकई सुधार की जरूरत है, पर अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। प्रो. गोविंदा की तरफ इशारा करते हुए चौधरी ने कहा कि आप तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय की केंद्रीय सलाहकार कमेटी में हैं। आपने मुझे और मैंने आपको सुना है। कहना तो नहीं चाहता, लेकिन कहे देता हूं कि हमने अधिकारियों की गाड़ियों के लिए पैसा मांगा पर नहीं दिया गया। सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल की तरह ड्रेस देने का पैसा मांगा, पर नहीं दिया गया। प्रति बच्चा 200 रुपये दिया जाता है। इससे बच्चे जो ड्रेस दिया जाता है उसे वे पहनकर ही गरीब लगते हैं। ऊपर ड्रेस होता है और नीचे जूता-मोजा नहीं होता। स्कूलों में विद्युतीकरण, शौचालय, हैंडपंप का पैसा मांगा गया, वह केंद्र सरकार ने नहीं दिया। (साभार-:-अमर उजाला)


सरकारी शिक्षा को बदनाम करने की हो रही साजिश
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने मंगलवार को यहां शिक्षा अधिकारियों की राज्य स्तरीय संगोष्ठी में यह कहकर चौंका दिया कि सुनियोजित षडयंत्र के तहत सरकारी स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था को बदनाम करने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकल का हल्ला हर साल होता है लेकिन कोई यह नहीं जानता कि कब सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं हो जाती हैं और कौन उनकी कॉपियां जांचता है। सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर उन्होंने केंद्र सरकार को पर्याप्त संसाधन मुहैया न कराने के लिए भी कठघरे में खड़ा किया। यह कहते हुए कि सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए योजनाओं को लागू कर देने भर से शिक्षा का भला नहीं होगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री नई दिल्ली के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (न्यूपा) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर तो बहस होती है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास वाहन ही नहीं हैं कि वे स्कूलों में जाकर पढ़ाई की निगरानी कर सकें। केंद्र यदि संसाधन मुहैया कराकर शिक्षा अधिकारियों को चिंतामुक्त कर दे तो समस्या का समाधान हो जाएगा। मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की तो यूनिफॉर्म भी गरीब होती है। केंद्र सरकार एक सेट यूनिफॉर्म के लिए मात्र 200 रुपये स्वीकृत करती है जो नाकाफी है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (कैब) की बैठक में यूनिफॉर्म की धनराशि बढ़ाने तथा बच्चों को टाई व जूता-मोजा उपलब्ध कराने की उनकी मांग को केंद्र ने अनसुना कर दिया। यदि केंद्र सरकार सिर्फ शत प्रतिशत सरकारी स्कूलों में विद्युतीकरण कार्य कराने के साथ शौचालय व पेयजल का प्रबंध करा दे तो हम पब्लिक स्कूलों को यह साबित कर देंगे कि प्रतिद्वंद्विता क्या होती है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि महकमे के अधिकारी यदि अपनी सोच बदलकर मनोयोग से जुट जाएं तो शिक्षा का बिगड़ा काम सुधारा जा सकता है।

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहते हैं कि बच्चे ‘क’ से कबूतर की बजाय ‘क’ से कंप्यूटर पढ़ें। वहीं बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने शिक्षा में गुणवत्ता के साथ नैतिकता पर भी जोर दिया। इससे पहले न्यूपा की प्रो.नजमा अख्तर ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षा अधिकारियों में ऐसा प्रबंध और प्रशासकीय कौशल विकसित करना है जिससे कि वे अपने चुनौतीपूर्ण दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सकें। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने कहा कि संगोष्ठी से निकलने वाले सकारात्मक निष्कर्षों को फील्ड में क्रियान्वित किया जाएगा।

दूर होगी शिक्षकों की कमी

मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के तकरीबन तीन लाख पद रिक्त हैं लेकिन 2013-14 के अंत तक यह कमी काफी हद तक दूर कर दी जाएगी। इनमें से 1.7 लाख पदों पर शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर समायोजित करने वाला उप्र पहला राज्य बनेगा। विधिक अड़चनें दूर होने के बाद 72,825 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी दो तीन महीने में पूरी कर ली जाएगी। डायट में प्रवक्ताओं और वरिष्ठ प्रवक्ताओं के खाली पदों को शीघ्र लोक सेवा आयोग के जरिये भरने के लिए कार्यवाही के निर्देश दिये गए हैं। 38 जिलों के अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बहुल ब्लाकों में ब्लॉक इन्स्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की स्थापना की जा रही है।
सरकारी शिक्षा को बदनाम कर रहा है केंद्र~ रामगोबिंद चौधरी : शैक्षिक अधिकारियों की संगोष्ठी Reviewed by Brijesh Shrivastava on 6:11 AM Rating: 5

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