करोडो के बजट के बाद भी कॉपी और पर्चे के लिए फिर जूझेंगे परिषदीय शिक्षक और छात्र
- परिषदीय परीक्षा का प्रश्नपत्र बोर्ड पर होगा
- बच्चे खुद खरीदकर लाएंगे कॉपियां
- वर्कबुक के पन्नों का भी कॉपी के रूप में कर सकते हैं प्रयोग
- अगले साल से परीक्षा के लिए अलग से बजट
लखनऊ।
सूबे में बुनियादी शिक्षा हर बच्चे तक पहुंचाने के लिए शिक्षा का अधिकार
(आरटीई) कानून लागू किया गया था, मगर आरटीई लागू होने के बाद लगातार दो साल
से परिषदीय स्कूलों की परीक्षा व्यवस्था वहां के छात्रों और शिक्षकों के
लिए मुश्किल बनी हुई है। सरकार स्कूलों में न तो प्रश्नपत्र की व्यवस्था पर
ध्यान दे रही है, न ही उत्तर पुस्तिकाओं की। शिक्षक कह रहे हैं कि विभाग
हर साल परीक्षा कार्यक्रम जारी करता है लेकिन कॉपी-प्रश्नपत्र की व्यवस्था
पर चुप्पी साध जाता है। वहीं बेसिक शिक्षा मंत्री का तर्क है कि कक्षा आठ
तक के छात्रों को फेल ही नहीं किया जाना है तो फिर परीक्षा कैसी? बच्चों के
मूल्यांकन के लिए ब्लैकबोर्ड और वर्कबुक का तरीका अपनाया जाता है। हालांकि
उन्होंने अगले साल से परीक्षा के लिए बजट की व्यवस्था कराने की बात कही
है।
प्रदेश में आरटीई लागू होने के पहले
परिषदीय स्कूलों कक्षा एक से आठ तक बच्चों की परीक्षा के लिए अलग से बजट की
व्यवस्था होती थी, मगर कक्षा आठ तक छात्रों को किसी भी क्लास में फेल न
करने की बाध्यता के बाद परीक्षा व्यवस्था समाप्त कर दी गई। इसके साथ ही
परीक्षा से जुड़े खर्च का बजटीय प्रावधान भी खत्म कर दिया गया, मगर स्कूलों
में परीक्षाएं पहले जैसे ही हो रही हैं। इस बार मई में परीक्षा प्रस्तावित
है। यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व महामंत्री सुशील कुमार पांडेय
बताते हैं कि सरकार से बजट न मिलने की वजह से स्कूलों में परीक्षा के दौरान
सवाल ब्लैक बोर्ड पर लिखे जाएंगे। परीक्षा के लिए कॉपियों का जुगाड़ कहीं
छात्रों के अभिभावकों को करना पड़ेगा, तो कहीं शिक्षक खुद आपस में चंदा
करके कॉपियों की व्यवस्था करेंगे। ऐसा ही पिछले साल भी हुआ था।
वे
कहते हैं कि ठीक से परीक्षा न हो तो छात्र स्कूल ही न आएं और यदि स्कूलों
में छात्रों की संख्या घटे तो शिक्षकों के सामने एक नई तरह की चुनौती।
सरकार को इस व्यावहारिक दिक्कत पर ध्यान देना चाहिए। वह बताते हैं कि
लैपटॉप और टैबलेट पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही सरकार को पहले बुनियादी
शिक्षा के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने पर गौर करना चाहिए। स्कूली
परीक्षा पर प्रति छात्र 5 से 10 रुपये की भी व्यवस्था हो तो बात बन जाए,
मगर सरकार चुप्पी साधे बैठे है। (साभार-:अमर उजाला)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0CnCZtcC6S7Y8GLW2lmQhmGD1pyr-L2fFOHovqbmqUDLE_v6ThuFxY7qTaKeZLAGqmmirZ5D4kwsmq-93V8rwA3VT-diQSCy9qcJw4rdrYqKoNhIgXMfDMw0qD6EOV21a57qwujAQ000/s1600/copy.jpg)
(साभार-:-दैनिक जागरण)![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0CnCZtcC6S7Y8GLW2lmQhmGD1pyr-L2fFOHovqbmqUDLE_v6ThuFxY7qTaKeZLAGqmmirZ5D4kwsmq-93V8rwA3VT-diQSCy9qcJw4rdrYqKoNhIgXMfDMw0qD6EOV21a57qwujAQ000/s1600/copy.jpg)
करोडो के बजट के बाद भी कॉपी और पर्चे के लिए फिर जूझेंगे परिषदीय शिक्षक और छात्र
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:28 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment