उर्दू भाषा शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ
- कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला
- बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में होगा संशोधन
- टीईटी की तर्ज पर होगी अलग से परीक्षा
- जून में परीक्षा और जून में ही घोषित होगा रिजल्ट
- अगस्त 1997 से पूर्व वाले ही होंगे पात्र
- 60 फीसदी अंक प्राप्त करना होगा जरूरी
- टीईटी में विज्ञान,गणित के प्रश्नों से मिलेगी छूट
- लिखित भाषा परीक्षा भी होगी खत्म
- 4,280 लोगों को मिलेगा लाभ
- 3000 भाषा शिक्षकों की अलग से होगी भर्ती
लखनऊ।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में मोआल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़
विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों को उर्दू भाषा शिक्षक के
पद पर रखने का रास्ता साफ हो गया है। इन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा
(टीईटी) की तर्ज पर अलग से परीक्षा देनी होगी। इसमें परीक्षार्थियों को 60
फीसदी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके लिए अगस्त 1997 से पूर्व वाले
ही पात्र होंगे। यह निर्णय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में
सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसका लाभ 4,280 लोगों को
मिलेगा।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक
स्कूलों में उर्दू भाषा के शिक्षक रखने की व्यवस्था है। राज्य सरकार पूर्व
में मोआल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़ विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने
वालों को उर्दू शिक्षक के पद पर रखती थी लेकिन 11 अगस्त 1997 के बाद इस पर
रोक लगा दी गई। राज्य सरकार अब इन्हें फिर से रखना चाहती है, लेकिन शिक्षा
का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद टीईटी की अनिवार्यता इसमें बाधा बन रही
थी। मोआल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़ विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने
वाले टीईटी देना नहीं चाहते हैं। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने बीच का
रास्ता निकाला है। इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा
नियमावली 1981 के नियम 17(1) को संशोधित कर दिया गया है। सचिव परीक्षा
नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद द्वारा आयोजित कराई जाने वाले टीईटी में भाषा
का एक अलग प्रश्न पत्र रखा जाएगा। इस परीक्षा में निबंध लेखन, व्याकरण,
कॉम्प्रिहेंसन व टीचिंग मेथड्स के प्रश्न पूछे जाएंगे। 150 अंकों की
परीक्षा में 60 फीसदी अंक पाने वालों को नियमानुसार सहायक अध्यापक भाषा के
पद पर रखा जाएगा। नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी पास करने वालों को परीक्षा
पास करने की जरूरत नहीं होगी।
4 दिसंबर
2012 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में मोआल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़
विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों पर निर्णय लेने के लिए
मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया था। मुख्यमंत्री के सुझाव पर बेसिक शिक्षा
विभाग ने अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए कैबिनेट मंजूरी के लिए
प्रस्ताव भेजा था। (साभार-:-अमर उजाला)
(साभार-:-दैनिक जागरण)
(साभार-:-दैनिक जागरण)
(साभार-:-हिन्दुस्तान)
(साभार-:-राष्ट्रीय सहारा)
उर्दू भाषा शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
2:09 PM
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