उप्र में नहीं खर्च हो रही साक्षर भारत मिशन की धनराशि
- 1229 करोड़ में से तीन साल में सिर्फ 82 करोड़ खर्च हुए
- केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने की समीक्षा
- मंत्री ने मिशन की प्रगति की समीक्षा के दौरान जताई हैरानी
जागरण
ब्यूरो, लखनऊ : निरक्षरों को साक्षर बनाने की मुहिम उत्तर प्रदेश में रेंग
रही है। ग्राम पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना हो या उनमें
प्रेरकों के चयन की कार्यवाही, सूबे में साक्षरता का उजियारा फैलाने का
अभियान सुस्त गति से चल रहा है। स्थिति यह है कि साक्षर भारत मिशन चालू
होने के तीन साल बाद भी उप्र में मिशन के लिए अनुमोदित 1229 करोड़ रुपये की
धनराशि में से महज साढ़े छह प्रतिशत यानी 82 करोड़ रुपये ही खर्च किये जा
सके हैं।
मंगलवार को यहां वैकल्पिक साक्षरता निदेशालय में केंद्रीय
मानव संसाधन राज्य मंत्री जितिन प्रसाद द्वारा सूबे में साक्षर भारत मिशन
की प्रगति की समीक्षा के दौरान यह तथ्य उजागर हुआ। केंद्रीय राज्य मंत्री
कहते हैं ‘यह बेहद आश्चर्यजनक है कि साक्षर भारत मिशन के तहत उप्र के पास
पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है फिर भी प्रदेश उसे खर्च करने में इस कदर फिसड्डी
साबित हो रहा है।’ स्थिति यह है कि 31 मार्च तक साक्षर भारत मिशन के तहत
सूबे के 66 जिलों की 49,285 ग्राम पंचायतों में से 43,423 में लोक शिक्षा
केंद्र स्थापित हो चुके थे लेकिन इनमें से संचालित हो रहे हैं सिर्फ
26,378। प्रत्येक लोक शिक्षा केंद्र में दो प्रेरक रखे जाने हैं। इस हिसाब
से प्रदेश में 98,438 प्रेरकों का चयन होना है लेकिन अब तक चयनित हुए हैं
59,205। इनमें से लगभग 40,000 प्रेरकों के बैंक खाते ही खुल सके हैं।
समीक्षा बैठक के दौरान जिला लोक शिक्षा समितियों के सचिवों ने केंद्रीय
राज्य मंत्री को बताया कि साक्षर भारत मिशन की धनराशि इसलिए खर्च नहीं हो
पा रही है क्योंकि प्रेरकों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
प्रेरकों को मानदेय का भुगतान बैंक खातों के जरिये होना है लेकिन उनके खाते
खुलवाने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं।
निदेशक साक्षरता राम
विशाल मिश्र ने केंद्रीय राज्य मंत्री से अनुरोध किया कि साक्षर भारत मिशन
के तहत प्रेरकों के बैंक खाते खुलवाने की व्यवस्था को विकेंद्रीकृत किया
जाए। सचिवों ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों
के कारण अक्सर यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि प्रेरक के चयन में उसकी
शैक्षिक योग्यता को वरीयता दी जाए या साक्षरता अभियान के उसके पुराने अनुभव
को। जितिन प्रसाद ने कहा कि साक्षर भारत मिशन की राह में आड़े आ रहीं
दिक्कतों को दूर करने में केंद्र हरसंभव सहयोग देगा।
उन्होंने योजना
के अमल में आ रहीं व्यावहारिक कठिनाइयों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय
राज्य मंत्री ने बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी से कहा कि उप्र के
कुछ जिलों में साक्षर भारत मिशन की प्रगति बेहद चिंताजनक है
जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने भी सर्व
शिक्षा अभियान के तहत केंद्र से उप्र का आवंटन बढ़ाये जाने का अनुरोध किया।
उप्र में नहीं खर्च हो रही साक्षर भारत मिशन की धनराशि
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:05 AM
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