एनसीटीई को न्यूनतम योग्यता निर्धारण का अधिकार नहीं : इलाहबाद हाईकोर्ट
- टीईटी मामले की सुनवाई में अधिवक्ताओं ने दिए तर्क
- उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ कर रही है सुनवाई
जागरण
ब्यूरो, इलाहाबाद : उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ में मंगलवार को टीईटी
प्रकरण को लेकर शुरू हुई बहस में इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल उठे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि टीईटी शैक्षिक योग्यता
नहीं है। इसलिए इसे अनिवार्य नहीं माना जा सकता। एनसीटीई को इसे अनिवार्य
करने का अधिकार ही नहीं है। पूर्णपीठ के समक्ष यह बहस जारी रहेगी। अभी
सरकार और केंद्र सरकार का पक्ष आना बाकी है।
हाईकोर्ट में
न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति पीकेएस
बघेल की पूर्णपीठ कर रही है। टीईटी को लेकर लगभग तीन दर्जन याचिकाएं दायर
हैं। इसमें दो प्रमुख बिंदुओं कि टीईटी अनिवार्य है नहीं और क्या बीएड
डिग्रीधारकों को प्रशिक्षण की शर्त पर सहायक अध्यापक नियुक्त किया जा सकता
है, पर विचार के लिए मामला पूर्णपीठ को संदर्भित किया गया है। दायर
याचिकाओं में कुछ में राज्य सरकार की अधिसूचनाओं को भी चुनौती दी गई है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान वकील राहुल अग्रवाल ने कहा कि एनसीटीई को
न्यूनतम योग्यता निर्धारण का अधिकार नहीं है। उन्होंने कई न्यायिक फैसलों
का उदाहरण भी दिया। वकील अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि विशिष्ट बीटीसी
प्रशिक्षुओं को भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। सरकार प्रशिक्षित
अभ्यर्थियों की मौजूदगी के बावजूद गैर प्रशिक्षितों की नियुक्ति कर बाद में
प्रशिक्षित करना चाहती है। (साभार-:-दैनिक जागरण)
एनसीटीई को न्यूनतम योग्यता निर्धारण का अधिकार नहीं : इलाहबाद हाईकोर्ट
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:07 PM
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