कई जिलों में शिक्षा मित्रों के समायोजन पर संकट : पदों की तुलना में शिक्षा मित्रों की संख्या अधिक होने से बने हालात
- नई भर्ती और तबादलों ने रोकी शिक्षामित्रों की राह
- शिक्षकों की भर्ती शुरू होने से 15 हजार पद फंसे
- एक से दूसरे जिले स्थानांतरण से राह हुई दुश्वार
लखनऊ। दूसरे चरण में 91,104 शिक्षा मित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने में कई जिलों के बीएसए को पद न होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ में ही पद न होने से शिक्षा मित्रों के समायोजन का संकट खड़ा हो गया है। इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में शिक्षा मित्रों के समायोजन में दिक्कत आ रही है। हालांकि शिक्षा मित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने के लिए प्रमाण पत्रों के मिलान की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो रही है। यह प्रक्रिया 25 अप्रैल तक चलेगी।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने दूसरे चरण के शिक्षा मित्रों को समायोजित करने के लिए 15 से 25 अप्रैल तक काउंसलिंग का कार्यक्रम निर्धारित किया है। इसके लिए सोमवार को जिलेवार पात्र शिक्षा मित्रों के बारे में सूचनाएं प्रकाशित कराने का कार्यक्रम रखा गया था। इसके बाद मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बलिया, बिजौर, संभल, रामपुर, सुल्तानपुर, महाराजगंज समेत 20 जिलों ने समायोजन संबंधी विज्ञापन जारी कर दिए हैं। अभी अन्य जिलों से विज्ञापन निकलना बाकी है। प्रदेश के कई जिलों में स्थिति यह है कि वहां पद से अधिक शिक्षा मित्र हैं और इन्हें कैसे समायोजित किया जाएगा इस बारे में कोई दिशा-निर्देश उच्च स्तर पर नहीं मिला है।
खबर साभार : अमर उजाला
राज्य सरकार की मंशा के बावजूद यदि दूरस्थ शिक्षा के जरिये बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले दूसरे बैच के सभी शिक्षामित्रों का समायोजन नहीं हो पाएगा तो इसके लिए भी बेसिक शिक्षा विभाग ही जिम्मेदार होगा। विभाग की ओर से शुरू की गई 15 हजार शिक्षकों की भर्ती और विगत वर्षो में भारी तादाद में हुए अंतरजनपदीय तबादलों ने दूसरे बैच के सभी शिक्षामित्रों के शिक्षक बनने की राह दुश्वार कर दी है।
समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सत्ता में आने पर परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में संविदा पर नियुक्त शिक्षामित्रों के समायोजन का वादा किया था। अखिलेश सरकार बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले स्नातक उत्तीर्ण पहले बैच के शिक्षामित्रों को जनवरी 2014 और दूसरे बैच को दिसंबर 2014 में समायोजित करने के लिए सात फरवरी 2013 को शासनादेश जारी किया था। पिछले साल पहले बैच के लगभग 59 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन तो हो गया लेकिन अब दूसरे बैच में बीटीसी कोर्स उत्तीर्ण करने वाले सभी शिक्षामित्रों के समायोजन में दिक्कतें आ रही हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग का आकलन है कि दूसरे बैच में बीटीसी प्रशिक्षण उत्तीर्ण करने वाले लगभग 87 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन करने पर 49 जिलों में अध्यापकों की संख्या प्राथमिक शिक्षकों के सृजित पदों से लगभग 13 हजार ज्यादा हो जाएगी। इधर शिक्षामित्रों के दूसरे बैच का समायोजन होना था और उधर विभाग ने पिछले साल दिसंबर में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त 15000 पदों के लिए भर्ती शुरू कर दी। यह जानते हुए भी कि दूसरे बैच के तहत लगभग 92 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन होना है।
इस भर्ती के शुरू हो जाने से प्राथमिक शिक्षकों के 15 हजार रिक्त पद फंस गए जिन पर शिक्षामित्रों को तैनात किया जा सकता था। वहीं रही-सही कसर हाल के वर्षो में भारी संख्या में हुए शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों ने पूरी कर दी। अंतरजनपदीय तबादलों के जरिये पिछड़े जिलों के शिक्षकों ने महानगरों वाले और अपेक्षाकृत विकसित जिलों में अपना स्थानांतरण करा लिया। इससे हुआ यह कि विकसित जिलों में ज्यादा शिक्षक पहुंच गए और पिछड़े जिलों में शिक्षकों की कमी हो गई। इससे विसंगति यह पैदा हो गई कि कई जिले ऐसे हो गए जहां शिक्षामित्रों की संख्या ज्यादा है लेकिन वहां उनके समायोजन के लिए पद कम है। वहीं कई जिलों में शिक्षामित्र कम हैं लेकिन वहां शिक्षकों के पद ज्यादा हैं।
राज्य सरकार की मंशा के बावजूद यदि दूरस्थ शिक्षा के जरिये बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले दूसरे बैच के सभी शिक्षामित्रों का समायोजन नहीं हो पाएगा तो इसके लिए भी बेसिक शिक्षा विभाग ही जिम्मेदार होगा। विभाग की ओर से शुरू की गई 15 हजार शिक्षकों की भर्ती और विगत वर्षो में भारी तादाद में हुए अंतरजनपदीय तबादलों ने दूसरे बैच के सभी शिक्षामित्रों के शिक्षक बनने की राह दुश्वार कर दी है।
समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सत्ता में आने पर परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में संविदा पर नियुक्त शिक्षामित्रों के समायोजन का वादा किया था। अखिलेश सरकार बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले स्नातक उत्तीर्ण पहले बैच के शिक्षामित्रों को जनवरी 2014 और दूसरे बैच को दिसंबर 2014 में समायोजित करने के लिए सात फरवरी 2013 को शासनादेश जारी किया था। पिछले साल पहले बैच के लगभग 59 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन तो हो गया लेकिन अब दूसरे बैच में बीटीसी कोर्स उत्तीर्ण करने वाले सभी शिक्षामित्रों के समायोजन में दिक्कतें आ रही हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग का आकलन है कि दूसरे बैच में बीटीसी प्रशिक्षण उत्तीर्ण करने वाले लगभग 87 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन करने पर 49 जिलों में अध्यापकों की संख्या प्राथमिक शिक्षकों के सृजित पदों से लगभग 13 हजार ज्यादा हो जाएगी। इधर शिक्षामित्रों के दूसरे बैच का समायोजन होना था और उधर विभाग ने पिछले साल दिसंबर में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त 15000 पदों के लिए भर्ती शुरू कर दी। यह जानते हुए भी कि दूसरे बैच के तहत लगभग 92 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन होना है।
इस भर्ती के शुरू हो जाने से प्राथमिक शिक्षकों के 15 हजार रिक्त पद फंस गए जिन पर शिक्षामित्रों को तैनात किया जा सकता था। वहीं रही-सही कसर हाल के वर्षो में भारी संख्या में हुए शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों ने पूरी कर दी। अंतरजनपदीय तबादलों के जरिये पिछड़े जिलों के शिक्षकों ने महानगरों वाले और अपेक्षाकृत विकसित जिलों में अपना स्थानांतरण करा लिया। इससे हुआ यह कि विकसित जिलों में ज्यादा शिक्षक पहुंच गए और पिछड़े जिलों में शिक्षकों की कमी हो गई। इससे विसंगति यह पैदा हो गई कि कई जिले ऐसे हो गए जहां शिक्षामित्रों की संख्या ज्यादा है लेकिन वहां उनके समायोजन के लिए पद कम है। वहीं कई जिलों में शिक्षामित्र कम हैं लेकिन वहां शिक्षकों के पद ज्यादा हैं।
साभार : दैनिक जागरण |
कई जिलों में शिक्षा मित्रों के समायोजन पर संकट : पदों की तुलना में शिक्षा मित्रों की संख्या अधिक होने से बने हालात
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:40 AM
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