बिना ‘आधार’ के आंगनबाड़ी, आशा व शिक्षकों को मानदेय और वेतन नहीं, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए व्यय सुधार की दिशा में केंद्र सरकार का अहम कदम, शहरी निकायों के सफाईकर्मियों के लिए भी आधार होगा अनिवार्य
नई दिल्ली : भ्रष्टाचार खत्म करने और सरकारी खर्च में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने व्यय सुधार की दिशा में अहम कदम उठाया है। केंद्र सरकार आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, शहरी स्थानीय निकायों के सफाईकर्मियों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के लिए ‘आधार’ नंबर अनिवार्य बनाने जा रही है। ऐसा होने पर इनको मानदेय और वेतन ‘आधार’ के माध्यम से सीधे बैंक खाते में मिलेगा। ‘आधार’ से संबद्ध बैंक खाता न होने पर इनको मानदेय और वेतन मिलने में दिक्कत आ सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट सचिवालय ने संबंधित मंत्रलयों को आंगनबाड़ी, आशा वर्कर और सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षकों को ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ (डीबीटी) के दायरे में लाने का निर्देश दिया है। इनको डीबीटी के तहत ‘अन्य हस्तांतरण’ की श्रेणी में रखा गया है। चालू वित्त वर्ष से ही यह व्यवस्था प्रभावी हो जाएगी। केंद्र ने यह कदम आधार कानून लागू होने के बाद उठाया। इसमें किसी भी तरह की सरकारी सब्सिडी या लाभ के लिए आधार नंबर को जरूरी बनाया गया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 21.33 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुल चुके हैं। वहीं 98 करोड़ से अधिक लोगों को आधार नंबर जारी हो चुके हैं। इसलिए केंद्र प्रायोजित सभी योजनाओं को डीबीटी के दायरे में लाने का फैसला किया गया। डीबीटी को सरकार कितनी अहमियत दे रही है, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सरकार इसे मिशन मोड में लागू कर रही है। डीबीटी को लागू करने की जिम्मेदारी कैबिनेट सचिवालय को सौंपी गई है। कैबिनेट सचिवालय इसकी प्रगति रिपोर्ट हर महीने सीधे प्रधानमंत्री को भेजता है। साथ ही प्रधानमंत्री खुद ‘प्रगति’ के माध्यम से हर महीने केंद्र और राज्यों के साथ डीबीटी के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि कैबिनेट सचिवालय ने सभी मंत्रलयांे से कहा है कि वे अपने यहां डीबीटी सेल स्थापित करें। साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को कहा गया है।
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