इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया फैसला : गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षक सत्रलाभ पाने के अधिकारी नही
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षक सत्रलाभ पाने के अधिकारी नहीं है। सत्र लाभ उन्हीं शिक्षकों को मिल सकता है जो स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इस टिप्पणी के साथ जस्टिस वीके शुक्ला और जस्टिस बीके बिड़ला की पीठ ने गैर शैक्षणिक कार्य में लगी शिक्षिका को सत्र लाभ देने के सिंगल बेंच के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने मामले को नए सिरे से तय करने के लिए वापस सिंगल बेंच के पास भेज दिया है। प्रदेश सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
सरकार का पक्ष रखते हुए स्टैडिंग काउंसिल ने कहा कि याची सरोज तिवारी माध्यमिक विद्यालय कौशाम्बी में सहायक अध्यापिका थीं। पिछले कुछ वर्षों से उनकी नियुक्ति मनोविज्ञानशाला इलाहाबाद में कर दी गई। याची का 30 जून 2015 को रिटायरमेंट था। उसने याचिका दाखिल कर कहा था कि वह बीच सत्र में रिटायर हो रही हैं इसलिए उनको सत्र लाभ मिलना चाहिए। सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए सत्र लाभ देने का आदेश दिया। कहा कि, याची को 31 मार्च 2016 तक सेवा में बने रहने दिया जाए। जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि सत्र लाभ छात्रों के फायदे के लिए है न कि शिक्षकों के फायदे के लिए। क्योंकि, याची मनोविज्ञानशाला में कार्यरत थी, जो शैक्षणिक संस्थान नहीं है इसलिए उन्हें सत्र लाभ नहीं दिया जा सकता। सरकार के इस तर्क को डिवीजन बेंच ने मान लिया।
No comments:
Post a Comment