बिल के भुगतान के लिए फंड का आवंटन ना होने से बेसिक स्कूलों की बिजली गुल

  • फंड का प्रावधान न होने का खामियाजा भुगत रहे नन्ने-मुन्ने
  • बिजली के बड़े बकायेदारों के कनेक्शन काटने के निर्देश
इलाहाबाद। छात्रों को बेहतर माहौल में शिक्षा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत चार वर्ष पूर्व परिषदीय विद्यालयों का विद्युतीकरण किया गया, लेकिन यह योजना आज दम तोड़ती नजर आ रही है। जोर-शोर से अभियान चलाकर हर विद्यालय का विद्युतीकरण कर दिया गया, लेकिन यह योजना अनवरत कैसे फलती-फूलती रहेगी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यही कारण हैं कि परिषदीय विद्यालयों में विद्युतीकरण को पांच बरस होने को है, लेकिन आज तक इसके बिल के भुगतान के लिए फंड का आवंटन नहीं किया गया। नतीजतन ज्यादातर स्कूलों के पंखे थम से गये हैं। ग्रामीण इलाकों में तो पहले से ही यह योजना मृत होने के कगार पर है, अब शहरी इलाकों के परिषदीय विद्यालयों की बिजली महकमे ने गुल कर दी है। सिर्फ एक-दो जिलों में नहीं, प्रदेश के हर जिले में इस योजना का यही हाल है। इस सम्बन्ध में जब बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात करिए तो वह कहते हैं कि जब कोई फंड आयेगा तभी तो बिल का भुगतान करेंगे। वह कहते हैं कि बिजली कटने पर दोबारा जोड़ने के लिए पत्र लिखा जाता है लेकिन बिजली विभाग भी जान गया है और वह इन पत्रों को ठंडे बस्ते में डाल देता है। यही कारण है कि 70 फीसद से अधिक स्कूलों के पंखे थम गये हैं। कुछ बिल का भुगतान न होने के कारण बंद हुए तो कुछ मरम्मत के अभाव में दम तोड़ दिये। बानगी के तौर पर इलाहाबाद को ही लीजिए यहां 75 फीसद से अधिक स्कूलों की बिजली गुल हो चुकी है। शहर के ज्यादातर स्कूलों का कनेक्शन बिल न जमा करने के कारण बिजली विभाग ने काट दिये। बिजली विभाग के बड़े अफसर इस पर कुछ भी बोलने से कतराते हैं, लेकिन वह इतना जरूर कहते हैं कि पांच साल होने को है अभी तक बिल के नाम पर एक भी पैसा विभाग को नहीं मिला। इलाहाबाद के मुख्य अभियन्ता तो साफगोई से कहते हैं कि आज तक एक धेला बेसिक शिक्षा विभाग से बिजली विभाग को नहीं मिला है। उनके अंडर में तीन जिले इलाहाबाद, प्रतापगढ़ व कौशाम्बी आते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष-2008-09 में परिषदीय विद्यालयों के विद्युतीकरण की योजना शुरू हुई। इस योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों में बिजली का जाल बिछाने के लिए प्रति विद्यालय के हिसाब से 25,188 रुपये धन आवंटित किया गया। यही नहीं बिजली महकमें को एक किलो वाट के कनेक्शन के लिए 2200 रुपये का भुगतान भी किया। यह योजना अनवरत चलती रहे इसके लिए यह भी प्रावधान किया गया कि 100 यूनिट प्रतिमाह के दर 11 माह का भुगतान प्रति विद्यालय के दर से पावर कापरेरेशन को बिल का भुगतान किया जाए। 100 यूनिट से अधिक का बिल आने पर विद्यालय शेष का भुगतान करेगा। इस नियम-कायदे के आधार पर परिषदीय विद्यालयों में बिजली की आपूर्ति शुरू की गयी, लेकिन विडम्बना देखिए कि जिस जोर-शोर के साथ यह योजना करोड़ों रुपये खर्च करके शुरू की गयी थी आज दम तोड़ती नजर आ रही है। न तो बिल के भुगतान के लिए आज तक फंड का प्रावधान किया गया और न ही किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आने पर मरम्मत के लिए। शासन के इस उदासीन रवैये से विद्यालय भी शांत होकर बैठ गये। ग्रामीण इलाकों में तो पहले से ही योजना रख-रखाव के अभाव व अन्य कारणों से सिर्फ कागजों में ही रेंगती नजर आ रही है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में तो शायद इक्कादुक्का स्कलों में ही पंखे चलते मिल पायेंगे। सूत्र यह भी कहते हैं कि यही हाल रहा तो जो चल रहे हैं वह भी बंद हो जाएंगे। अब शहरी स्कलों के भी पंखे बिल के भुगतान न होने से थम गये हैं। ज्यादातर शहरी स्कलों पर हजारों रुपये का बकाया हो गया है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बकाया के भुगतान के लिए बार-बार नोटिस दी, लेकिन बकाया का भुगतान नहीं किया गया। थक-हारकर बिजली विभाग ने गुप- चुप तरीके से स्कूलों की बिजली गुल कर दी। सूत्र बताते हैं कि शहर के उन्हीं परिषदीय विद्यालय में बिजली की आपूर्ति हो रही है जो स्वयं किसी तरह जुगाड़ करके बिल का भुगतान कर रहे हैं। इस योजना के हाल पर कोई भी कुछ बोलने से कतरा रहा है, लेकिन सच्चाई यही है।  फंड का प्रावधान न होने का खमियाजा भुगत रहे नन्हे-मुन्ने बच्चे  बिजली के बड़े बकायेदारों के कनेक्शन काटने के आदेश  लखनऊ, (एसएनबी)। पावर कारपोरेशन ने गैर आवासीय बिजली के बड़े बकायेदारों के कनेक्शन काटने के आदेश दिये हैं। यह अभियान उन बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के खिलाफ चलेगा, जो लम्बे अर्से से बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। (साभार-:-राष्ट्रीय सहारा)
बिल के भुगतान के लिए फंड का आवंटन ना होने से बेसिक स्कूलों की बिजली गुल Reviewed by Brijesh Shrivastava on 2:55 PM Rating: 5

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