यूनेस्को ने प्राथमिक शिक्षा में भारत की सफलता को सराहा : स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या में 90 फीसद से अधिक कमी
नई दिल्ली, प्रेट्र : भारत ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छी तरक्की की है। संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने बृहस्पतिवार को जारी वैश्विक शिक्षा की रिपोर्ट में भारत की सराहना की है। इसमें कहा गया है कि भारत ने स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या में 90 फीसद से अधिक कम है और उसने ‘यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन’ का लक्ष्य हासिल किया है।
मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘वास्तव में भारत के बारे में भविष्यवाणी की गई है कि दक्षिण और पश्चिम एशिया में यह एक मात्र ऐसा देश होगा जहां प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों और लड़कों का अनुपात बराबर होगा। सर्व शिक्षा 2000-2015 की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 47 फीसद देशों ने यूनिवर्सल प्री-प्राइमरी नामांकन का लक्ष्य हासिल किया है।
भारत सहित आठ फीसद ऐसे देश हैं जो इस लक्ष्य को हासिल करने के करीब हैं। रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वर्ष 2030 तक प्राथमिक शिक्षा से पहले का और सबके लिए प्राथमिक शिक्षा के लिए 22 अरब डॉलर के वार्षिक वित्तीय घाटे को पाटने का जरिया तलाशने को कहा गया है। बैठक में ईरानी ने कहा कि दाखिला में बढ़ोतरी और ज्ञान, विश्लेषणात्मक गुण और तर्क-वितर्क का गुण को बेहतर करने की पहल की गई है। देश के चरित्र निर्माण में शिक्षा को आधार स्तंभ बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को अंगीकार करते हुए ऐसा किया जा रहा है।
ईरानी ने कहा कि स्कूली शिक्षा में विज्ञान और गणित पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यूनेस्को की रिपोर्ट में भारत में लड़के-लड़कियों की शिक्षा में समानता का लक्ष्य हासिल करने का उल्लेख है, लेकिन यह भी कहा गया है कि वयस्क साक्षरता के मामले में भारत को अभी प्रगति के बड़े लक्ष्य को हासिल करना है। कहा गया है कि भारत सहित 32 फीसद देश ऐसे हैं जो यह लक्ष्य हासिल करने से बहुत पीछे हैं। बच्चों को प्राथमिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने में भारत की प्रगति को अनुकरणीय बताते हुए गया है, भारत का उदाहरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि पर्याप्त राजनीति इच्छाशक्ति और संसाधनों के जरिये वर्ष 2030 तक दुनिया शिक्षा के नए लक्ष्य को हासिल करने के लिए कदम बढ़ा सकती है।
मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘वास्तव में भारत के बारे में भविष्यवाणी की गई है कि दक्षिण और पश्चिम एशिया में यह एक मात्र ऐसा देश होगा जहां प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों और लड़कों का अनुपात बराबर होगा। सर्व शिक्षा 2000-2015 की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 47 फीसद देशों ने यूनिवर्सल प्री-प्राइमरी नामांकन का लक्ष्य हासिल किया है।
भारत सहित आठ फीसद ऐसे देश हैं जो इस लक्ष्य को हासिल करने के करीब हैं। रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वर्ष 2030 तक प्राथमिक शिक्षा से पहले का और सबके लिए प्राथमिक शिक्षा के लिए 22 अरब डॉलर के वार्षिक वित्तीय घाटे को पाटने का जरिया तलाशने को कहा गया है। बैठक में ईरानी ने कहा कि दाखिला में बढ़ोतरी और ज्ञान, विश्लेषणात्मक गुण और तर्क-वितर्क का गुण को बेहतर करने की पहल की गई है। देश के चरित्र निर्माण में शिक्षा को आधार स्तंभ बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को अंगीकार करते हुए ऐसा किया जा रहा है।
ईरानी ने कहा कि स्कूली शिक्षा में विज्ञान और गणित पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यूनेस्को की रिपोर्ट में भारत में लड़के-लड़कियों की शिक्षा में समानता का लक्ष्य हासिल करने का उल्लेख है, लेकिन यह भी कहा गया है कि वयस्क साक्षरता के मामले में भारत को अभी प्रगति के बड़े लक्ष्य को हासिल करना है। कहा गया है कि भारत सहित 32 फीसद देश ऐसे हैं जो यह लक्ष्य हासिल करने से बहुत पीछे हैं। बच्चों को प्राथमिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने में भारत की प्रगति को अनुकरणीय बताते हुए गया है, भारत का उदाहरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि पर्याप्त राजनीति इच्छाशक्ति और संसाधनों के जरिये वर्ष 2030 तक दुनिया शिक्षा के नए लक्ष्य को हासिल करने के लिए कदम बढ़ा सकती है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
यूनेस्को ने प्राथमिक शिक्षा में भारत की सफलता को सराहा : स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या में 90 फीसद से अधिक कमी
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
5:20 PM
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