शासन की नाक के नीचे ज़्यादातर स्कूलों में फिर नहीं बटा दूध, मुख्यमंत्री की दूध की वितरण योजना बंद होने की कगार पर, कहां से आएं दूध के पैसे पर समीक्षा बैठक में चुप्पी
- ज्यादातर स्कूलों में फिर नहीं बंटा दूध
एनबीटी, लखनऊ : मुख्यमंत्री की दूध की वितरण योजना बंद होने की कगार पर है। योजना शुरू होने को एक महीना ही हुआ है लेकिन बुधवार को राजधानी के ज्यादातर स्कूलों में दूध नहीं बंटा। अक्षयपात्र ने पिछले सप्ताह ही चार ब्लॉक में दूध बांटने से मना कर दिया था। वहीं जिन स्कूलों में शिक्षक और एनजीओ दूध बंटवा रहे थे वहां भी बच्चों को दूध नहीं मिला।
सूत्रों के अनुसार बुधवार को मुख्य सचिव आलोक रंजन की समीक्षा बैठक हुई। इसमें दूध वितरण योजना पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने कहा कि स्कूलों में दूध समय से दिया जाए। लेकिन दूध के लिए बजट कहां से आएगा इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई। दो सप्ताह से दूध नहीं बंटा इसका भी कोई जिक्र नहीं हुआ। बस ऐसे ही टॉपिक निपटा दिया गया।
- कहां से आएं दूध के पैसे
दूध वितरण योजना का मुद्दा अब भी पैसा ही है। राजधानी में दो हजार से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल है। लेकिन इनमें दूध किस मद से पिलाया जाएगा इसका सरकार ने अब तक कोई निर्धारण नहीं किया है। अक्षय पात्र की तरह एनजीओ संचालकों ने भी दूध वितरण बंद कर दिया है। इसमें मोहनलालगंज और मॉल व मलिहाबाद के स्कूल शामिल है। बीएसए प्रवीणमणि त्रिपाठी ने बताया कि मद को लेकर शासन से कोई निर्देश नहीं मिला है। अक्षय पात्र को छोड़कर कुछ स्कूल अपने पास से दूध पिला रहे हैं।
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
- बच्चे करते रहे दूध का इंतजार
लखनऊ (डीएनएन)। पिछले चार सप्ताह से प्रत्येक बुधवार को जिन 36 हजार बच्चों को मिड-डे-मील में मीठा दूध मिल रहा था, इस बार एनजीओ ने उन्हें दूध देने से इनकार कर दिया। लिहाजा बुधवार को बीकेटी नगर पंचायत व सभी माध्यमिक विद्यालयों में भी बच्चों को दूध नहीं बांटा गया। मिड-डे-मील में सिर्फ कोफ्ता चावल ही दिया गया।
वहीं दूसरी ओर अक्षय पात्र की ओर से दूध की जगह खीर देने के प्रस्ताव पर आदेश न मिलने की वजह से खीर भी नहीं बांटी जा सकी।परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, माध्यमिक विद्यालयों एवं मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मिड-डे-मील दिए जाने की व्यवस्था है। चिनहट, सरोजिनी नगर, काकोरी व नगर क्षेत्र में अक्षय पात्र फाउंडेशन तथा बीकेटी नगर पंचायत के परिषदीय विद्यालयों तथा माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को एनजीओ मिड-डे-मील देता है। इस बार राज्य सरकार ने मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन कर बुधवार को 200 मिली दूध व कोफ्ता-चावल कर दिया गया। लेकिन दूध के लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसको लेकर अक्षय पात्र फाउंडेशन ने पहले ही 72 हजार बच्चों को दूध देने से मना कर रखा है।
वहीं अफसरों के दबाव में 15 जुलाई से प्रत्येक बुधवार को एनजीओ किसी तरह बच्चों को दूध और कोफ्ता-चावल उपलब्ध करा रहे थे। लेकिन बुधवार को सभी एनजीओ ने बच्चों को दूध देने से साफ इनकार कर दिया। एनजीओ संचालकों का कहना है कि जब सरकार दूध के लिए बजट ही नहीं दे रही तो हम कहां से इसकी व्यवस्था कराएं। एनजीओ के इनकार से करीब 36 हजार बच्चों को इस बार दूध नहीं मिल सका।
वहीं दूसरी ओर अक्षय पात्र की ओर से दूध की जगह खीर देने के प्रस्ताव पर आदेश न मिलने की वजह से खीर भी नहीं बांटी जा सकी।परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, माध्यमिक विद्यालयों एवं मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मिड-डे-मील दिए जाने की व्यवस्था है। चिनहट, सरोजिनी नगर, काकोरी व नगर क्षेत्र में अक्षय पात्र फाउंडेशन तथा बीकेटी नगर पंचायत के परिषदीय विद्यालयों तथा माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को एनजीओ मिड-डे-मील देता है। इस बार राज्य सरकार ने मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन कर बुधवार को 200 मिली दूध व कोफ्ता-चावल कर दिया गया। लेकिन दूध के लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसको लेकर अक्षय पात्र फाउंडेशन ने पहले ही 72 हजार बच्चों को दूध देने से मना कर रखा है।
वहीं अफसरों के दबाव में 15 जुलाई से प्रत्येक बुधवार को एनजीओ किसी तरह बच्चों को दूध और कोफ्ता-चावल उपलब्ध करा रहे थे। लेकिन बुधवार को सभी एनजीओ ने बच्चों को दूध देने से साफ इनकार कर दिया। एनजीओ संचालकों का कहना है कि जब सरकार दूध के लिए बजट ही नहीं दे रही तो हम कहां से इसकी व्यवस्था कराएं। एनजीओ के इनकार से करीब 36 हजार बच्चों को इस बार दूध नहीं मिल सका।
शासन की नाक के नीचे ज़्यादातर स्कूलों में फिर नहीं बटा दूध, मुख्यमंत्री की दूध की वितरण योजना बंद होने की कगार पर, कहां से आएं दूध के पैसे पर समीक्षा बैठक में चुप्पी
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:19 AM
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