उर्दू की किताबों के लिए बच्चों को करना होगा इंतजार : सत्यापन के लिए अभी तक नहीं हुई पूरी किताबों की आपूर्ति



  • विद्यालयों में अब तक नहीं पहुंचीं उर्दू की किताबें
परिषदीय विद्यालयों व मदरसों में पढ़ने वाले उर्दू मीडियम के बच्चों को मिलने वाली नि:शुल्क किताबें अभी नहीं पहुंचीं हैं। किताबों के लिए अभी बच्चों को और इंतजार करना पड़ेगा। इसका कारण यह है कि अभी तक सत्यापन के लिए पूरी किताबें प्रकाशकों ने नहीं भेजी हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त व माध्यमिक विद्यालयों तथा समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व एडेड स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के सभी अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों व सभी वर्ग की बालिकाओं को नि:शुल्क पुस्तकें दिए जाने की व्यवस्था है। इसके अलावा उर्दू मीडियम के परिषदीय विद्यालयों व मदरसों में उर्दू की किताबें उपलब्ध करायी जाती है। इस बार हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम की किताबें बच्चों को देने में पहले ही देरी हो गयी। अब उर्दू माध्यम की किताबें समय से नहीं मिल पायी हैं। 

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक उर्दू मीडियम के लगभग तीन हजार बच्चों को उर्दू की किताबें दी जानी हैं, लेकिन सत्र शुरू होने के बावजूद बच्चों को बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। उधर राजधानी में लगभग सवा सौ माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 108 एडेड हैं, लेकिन जुलाई माह खत्म होने के बाद भी अभी तक लगभग 92 विद्यालयों में ही बच्चों को किताबें मिल सकी हैं। शेष 30 विद्यालयों में अब तक किताबें नहीं मिली हैं। पाठय़ पुस्तक वितरण की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारियों का कहना है कि किताबें मौजूद है, लेकिन स्कूल के लोग लेने नहीं आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त किताबों के बाद अब कक्षा एक से पांच तक बच्चों को गणित व अंग्रेजी की अभ्यास पुस्तिकाएं दी जाएंगी। प्रकाशकों द्वारा अभ्यास पुस्तिकाएं सत्यापन के लिए भेजी जा चुकी हैं। जल्द ही इनका सत्यापन कराया जाएगा, उसके बाद विद्यालयों में वितरण के लिए भेजा जाएगा।
साभार सहारा 


  • सवा सौ माध्यमिक विद्यालयों में से सिर्फ 92 में पहुंचीं किताबें
  • अभ्यास पुस्तिकाएं पहुंचीं, सत्यापन के बाद होगा वितरण

लखनऊ (डीएनएन)। परिषदीय विद्यालयों एवं मदरसों में पढ़ने वाले उर्दू मीडियम के बच्चों को निशुल्क किताबों के लिए अभी इंतजार करना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी तक सत्यापन के लिए पूरी किताबें प्रकाशकों ने नहीं भेजीं।बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं माध्यमिक विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व एडेड स्कूलों कक्षा 1 से 8 तक के सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बालकों तथा सभी वर्ग की बालिकाओं को निशुल्क किताबें दिए जाने की व्यवस्था है। इसके अलावा उर्दू मीडियम के परिषदीय विद्यालयों व मदरसों में उर्दू किताबें मुहैया कराई जाती हैं। इस बार हिन्दी, अंग्रेजी माध्यम की किताबें बच्चों को देने में पहले ही लेटलतीफी हो गई। अब उर्दू मीडियम की किताबें समय से नहीं मिल पाई हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक उर्दू मीडियम के करीब तीन हजार बच्चों को उर्दू किताबें दी जानी है। लेकिन सत्र शुरू होने के बावजूद बच्चों को बिना किताबें ही पढ़ाई करनी पड़ रही है।

परिषद के साथ-साथ राजकीय व एडेड माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा आठ तक के बच्चों को भी निशुल्क किताबें दिए जाने का प्रावधान है। राजधानी में करीब सवा सौ माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 108 एडेड हैं। लेकिन जुलाई खत्म होने के बावजूद अभी तक 92 विद्यालयों में बच्चों को किताबें मिल सकीं। शेष 30 विद्यालयों में अब तक किताबें नहीं मिलीं। पाठ्य पुस्तक वितरण की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारी का कहना है कि किताबें रखी हैं, लेकिन स्कूल वाले लेने नहीं आ रहे।किताबों के बाद अब कक्षा एक से पांच तक बच्चों को गणित व अंग्रेजी की अभ्यास पुस्तिकाएं दी जाएंगे। प्रकाशकों द्वारा अभ्यास पुस्तिकाएं सत्यापन के लिए भेजी जा चुकी हैं। जल्द ही बीएसए द्वारा इसका सत्यापन कराया जाएगा, उसके बाद विद्यालयों में वितरण के लिए इसे भेजा जाएगा।
खबर साभार :  डेली न्यूज एक्टिविस्ट



चार महीने में नहीं बंटी उर्दू की किताबें: प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की भर्ती के प्रति सरकार जितनी गंभीर है शायद उतना उर्दू शिक्षा में सुधार पर ध्यान नहीं है। उर्दू शिक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कक्षा एक से आठ तक की निशुल्क पुस्तक ‘हमारी जुबान’ चार महीने बाद भी नहीं बंट सकी है।


खबर साभार :   हिन्दुस्तान

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उर्दू की किताबों के लिए बच्चों को करना होगा इंतजार : सत्यापन के लिए अभी तक नहीं हुई पूरी किताबों की आपूर्ति Reviewed by Brijesh Shrivastava on 8:43 AM Rating: 5

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