प्राइवेट स्कूलों को देना ही होगा बच्चों को मुफ्त दाखिला, लखनऊ में सिटी मोंटेसरी स्कूल को दिया कोर्ट ने निर्देश, सरकार के आदेश को भी आरटीई के विरुद्ध बताया



  • सीएमएस में 13 गरीब बच्चों को दाखिला देने का आदेश बनेगा नजीर 
  • सत्र 2015-16 में 998 आवेदनों में से 472 का हुआ दाखिला
  • कोर्ट ने खोली आरटीई से गरीबों के दाखिले की राह 
हाई कोर्ट द्वारा सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) में 13 गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिला देने का आदेश अब दूसरे स्कूलों के लिए नजीर बनेगा। फिलहाल हाई कोर्ट के इस आदेश पर अभी सीएमएस प्रशासन अध्ययन कर रहा है और आगे कानूनी राय लेने के बाद ही कोई कदम उठाएगा। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद वह उसे लागू करवाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। फिलहाल इस आदेश के आने के बाद निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब छात्रों को निशुल्क दाखिला देने की राह आसान हो गई है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि शैक्षिक सत्र 2015-16 में कुल 998 आवेदन आरटीई के तहत विभिन्न निजी स्कूलों में दाखिले के लिए आए। इसमें से 472 आवेदन पात्र पाए गए और इन सभी को विभिन्न स्कूलों में दाखिला दे दिया गया। बीएसए ने बताया कि डीपीएस इंदिरानगर पहले दाखिला नहीं दे रहा था, लेकिन बाद में हस्ताक्षेप करने पर वहां भी एडमिशन लिए गए। उन्होंने बताया कि सीएमएस की इंदिरानगर शाखा में 13 छात्रों के निशुल्क दाखिला लेने के हाई कोर्ट के निर्णय को अभी उन्होंने पढ़ा नहीं है, लेकिन कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करवाने के लिए वह हर जरूरी कदम उठाएंगे।  इधर सीएमएस के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि अभी इस फैसले पर कानूनी राय ली जा रही है और आगे क्या कदम उठाया जाएगा यह एक दो दिन में साफ हो जाएगा।

खबर साभार : दैनिक जागरण 

  • मील का पत्थर साबित हो सकता है कोर्ट का फैसला
  • CMS को देना ही होगा 13 बच्चों को मुफ्त दाखिला 
  • यूपी सरकार के शासनादेश में सीटें देने के क्रम को आरटीई की भावना के विपरीत बताया
  • 2600 निजी स्कूल लखनऊ में, 75 हजार बच्चों के लिए दाखिले का रास्ता साफ
  • यूपी में यह आंकड़ा पांच लाख के आस-पास होने का अनुमान

सिटी मॉन्टेसरी स्कूल को कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह आरटीई के तहत 13 बच्चों को एक सप्ताह में फ्री एडमिशन दे। हाई कोर्ट के जज राजन रॉय ने आदेश दिया है कि फीस, यूनिफॉर्म और अन्य मुद‌्दों पर सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने यूपी सरकार के शासनादेश में सीटें देने के क्रम को आरटीई की भावना के विपरीत बताया है। सीएमएस संस्थापक जगदीश गांधी ने कहा कि ऑर्डर देखने के बाद वे इस पर अपने वकीलों से राय लेंगे। सूत्रों के मुताबिक सीएमएस स्पेशल बेंच में अपील करने की तैयारी में है। 

  • फैसले का असर
• दूसरे स्कूल आरटीई के तहत एडमिशन लेने से इनकार नहीं कर पाएंगे।
• हर स्कूल को हर क्लास में कुल सीटों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना होगा।
• केवल लखनऊ में करीब 70 हजार बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई का रास्ता खुलेगा।
• यूपी में यह आंकड़ा पांच लाख के आस-पास होने का अनुमान है।

साभार : नवभारत टाइम्स 

आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत सीएमएस में 13 गरीब बच्चों को निशुल्क दाखिला देने का हाईकोर्ट का आदेश मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे दूसरे स्कूलों पर दबाव बनेगा और वे भी गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए बाध्य होंगे। जानकारों ने इसे कोर्ट का बड़ा और जनहित का फैसला बताते हुए कहा है कि अब सरकार को भी आरटीई की भावना की कद्र करते हुए निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए।

कोर्ट ने आरटीई के तहत सरकार के शासनादेश पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में सीटें फुल होने के बाद ही निजी स्कूल बाध्य होंगे। कोर्ट ने कहा है कि यह गलत है। आप इसे रीविजिट करें और आपके रूल्स और जीओ में जो भी गड़बड़ियां हैं, उसे दुरुस्त करें।

  • मामला और फैसला
सीएमएस, इंदिरा नगर में आरटीई के तहत 31 बच्चों को डीएम ने एडमिशन का पात्र पाया था। लेकिन सीएमएस ने जगह न होने की बात कहकर इन बच्चों को दाखिला देने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने गुरुवार को स्कूल से एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले 13 बच्चों को एक हफ्ते में एडमिशन देने के लिए कहा है। बॉर्डर लाइन पर रहने वाले 14 बच्चों को इसी दायरे में किसी अन्य स्कूल में एडमिशन दिलवाया जाएगा। चार बच्चे दायरे के बाहर हैं।

  • प्रदेश सरकार के जीओ पर भी होगा असर
आरटीई एक्ट कहता है कि हर स्कूल 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देने के लिए बाध्य हैं। जबकि प्रदेश सरकार ने एक्ट में प्रावधान जोड़ रखा है कि एक किलोमीटर के दायरे में अगर सरकारी स्कूल नहीं है तो निजी स्कूल में आवेदन किया जा सकता है, प्रदेश सरकार के जीओ में कहा गया है कि वार्ड में सरकारी स्कूल नहीं है तो निजी स्कूल में आवेदन कर सकते हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं निजी स्कूल
दिल्ली की तरह लखनऊ के भी निजी स्कूल इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं। स्कूलों का तर्क है कि आरटीई में ही कई ऐसी खामियां हैं। उनके अपने तर्क हैं कि गरीबी का आधार तय होना चाहिए। यदि बीपीएल का सर्टिफिकेट कोई लेकर आता है तो उसकी जांच कौन करेगा/ सरकार तो इसकी खुद जांच कराती है, जबकि प्राइवेट में यह समस्या होगी। इसके अलावा बच्चों के पढ़ाई के स्तर में भी अंतर है। ऐसे में सरकारी स्कूल से आने वाले बच्चे को एक ही क्लास में एक साथ पढ़ाना संभव नहीं है।
खबर साभार : नवभारत टाइम्स 

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प्राइवेट स्कूलों को देना ही होगा बच्चों को मुफ्त दाखिला, लखनऊ में सिटी मोंटेसरी स्कूल को दिया कोर्ट ने निर्देश, सरकार के आदेश को भी आरटीई के विरुद्ध बताया Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:17 AM Rating: 5

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