मध्य प्रदेश से की गई डी.एड. से नियुक्त सहायक अध्यापक की बर्खास्तगी सही : इलाहबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि
कोई अयोग्य कार्यरत है तो उस आधार पर दूसरा अपनी बर्खास्तगी को निरस्त करने
की मांग नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी नकारात्मक असमानता का लाभ देने
से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने बीएसए गोरखपुर के उस आदेश पर हस्तक्षेप
करने से इनकार कर दिया जिसके तहत एक सहायक अध्यापक की नियुक्ति व प्रोन्नति
को निरस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि बीएसए ने सुप्रीम कोर्ट के
निर्देश पर बर्खास्तगी की है, वह पूर्णतया विधिमान्य है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने अध्यापक उपेंद्र राय की याचिका को
खारिज करते हुए दिया है। याची ने जबलपुर मप्र से डिप्लोमा इन एजुकेशन
ट्रेनिंग कोर्स कर रखा है। जिसके आधार पर उसने स्वयं को बीटीसी की समकक्ष
योग्यता रखने वाला मानते हुए सहायक अध्यापक भर्ती में आवेदन दिया जबकि उप्र
में इस डिप्लोमा को मान्यता नहीं है। 1999 में भर्ती के लिए आवेदन
अस्वीकार होने पर याची ने हाईकोर्ट की शरण ली। याचिका खारिज होने पर अपील
दाखिल की। अपील के निर्णय के आधार पर उसे सहायक अध्यापक नियुक्त किया गया
किंतु विभाग ने विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलीय
न्यायालय के आदेश को गलत मानते हुए रद कर दिया। इस फैसले के बाद बीएसए ने
याची की नियुक्ति व प्रोन्नति अध्यापक नियुक्ति की पात्रता न रखने के कारण
निरस्त कर दिया जिसे चुनौती दी गई थी। बीएसए की तरफ से अधिवक्ता घनश्याम
मौर्या ने पक्ष रखा कि याची अध्यापक नियुक्ति की अर्हता नहीं रखता। इसे
डिप्लोमा पर कार्यरत अध्यापकों की समानता नहीं दी जा सकती। प्राधिकारी
नियमानुसार आदेश दे सकते हैं। (साभार-:-दैनिक जागरण)
मध्य प्रदेश से की गई डी.एड. से नियुक्त सहायक अध्यापक की बर्खास्तगी सही : इलाहबाद हाईकोर्ट
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
11:16 PM
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1 comment:
baki bache farzi master kab bahar honge prathmik shikshak sanghathan kya kar raha hai
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