आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने में बेसिक शिक्षा आगे, अब तक कराये 3200 एडमिशन, वहीं माध्यमिक शिक्षा का खाता पूरे प्रदेश में शून्य, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जताई नाराजगी
लखनऊ । शिक्षा का अधिकार अधिनिमय (आरटीई) के तहत माध्यमिक विद्यालयों में गरीब बच्चों का दाखिला कराने में माध्यमिक शिक्षा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है। इस स्थिति पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 3200 बच्चों का दाखिला कराया है, जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित विद्यालयों में प्रवेश शून्य है। इससे लगता है कि डीआईओएस इस योजना के अधीन अलाभित समूह व दुर्बल वर्ग के बच्चों को प्रवेश कराए जाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। उन्होंने यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईएससी बोर्ड के विद्यालयों में कक्षा एक अथवा उससे पूर्व प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में अलाभित वर्ग के बच्चों को दाखिला दिलाने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को निशुल्क दाखिला देने का प्रावधान है। जिन छात्रों का दाखिला कराया जाता है, उसकी फीस प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करती है। लेकिन फिर भी गरीब बच्चों को दाखिला देने में स्कूल रुचि नहीं दिखाते। साथ ही विभागीय अधिकारी भी कोई खास रुचि नहीं लेते। यही वजह है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश भर में 3200 छात्रों का दाखिला दिलाया। जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग एक बच्चे को भी दाखिला नहीं दिला सका। इस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने नाराजगी जताई है।
राजधानी के आंकड़ों के मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग से सम्बद्ध स्कूलों में चौथे साल पांच और पांचवे साल वर्ष 2015 में 679 गरीब बच्चों को निजी स्कूल में दाखिला मिला। लेकिन माध्यमिक में एक भी दाखिले नहीं हो सके।
डीआईओएस ने नए शैक्षिक सत्र के पहले दिन ब्राइट कैरियर इंटर कॉलेज में गरीब बच्चों के दाखिले कराने से इसकी शुरुआत की थी। उन्होंने विभिन्न माध्यमिकविद्यालयों में करीब 125 बच्चों के दाखिले कराए जाने की बात कही थी। लेकिन इन बच्चों का सत्यापन अब तक नहीं कराया गया। जिससे इनकी फीस प्रतिपूर्ति होने में दिक्कतें आएंगी।
माध्यमिक विद्यालयों में गरीब बच्चों के दाखिले कराए जाने की शुरुआत एक अप्रैल से की जा चुकी है, अब तक कई दाखिले हो चुकेहैं। इसके अलावा और दाखिलों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को निजी स्कूल में निशुल्क दाखिला दिलाया जा सके।उमेश त्रिपाठी, जिला विद्यालय निरीक्षक, लखनऊ
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