- शिक्षकों की नियुक्ति में परीक्षाफल बना रोड़ा
- जांच एजेंसी ने सील कर रखा है रिकार्ड
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इलाहाबाद।
राज्य सरकार द्वारा परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों
की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर बीएड तथा टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में
भ्रम की स्थिति है और अधिकारी भी इस मसले पर स्पष्ट तौर पर कहने से बच रहे
हैं। वर्ष 2011 नवंबर में सम्पन्न हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के
लगभग तीन हजार अभ्यर्थियों का परीक्षाफल विभिन्न कारणों से अपूर्ण हैं।
लगभग एक हजार से भी अधिक अभ्यर्थी यूपी बोर्ड का अपना परीक्षाफल दुरुस्त
कराने को आवेदन भी दे चुके हैं किंतु अभी तक इन आवेदनों पर कोई निर्णय नहीं
हो सका है। दरअसल माशिप के पास वर्ष 2011 में सम्पन्न हुई टीईटी परीक्षा
के कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। यही नहीं लगभग टीईटी से संबंधित लगभग 50
याचिकाएं हाईकोर्ट इलाहाबाद तथा खंडपीठ लखनऊ में लंबित हैं।
उल्लेखनीय
है कि टीईटी परीक्षा 2011 को सीधे शिक्षा निदेशालय के शिविर कार्यालय लखनऊ
से ही तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन द्वारा सम्पन्न कराया
गया था। परीक्षा कराने की जिम्मेदारी माशिप को सौंपी गयी थी। किंतु
तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक तथा परिषद सचिव के अलावा परिषद के किसी
अधिकारी एवं कर्मचारी को परीक्षा संचालन या प्रश्नपत्रों के निर्माण एवं
मुद्रण, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन एवं मेरिट बनाने आदि से पूरी तरह
दूर रखा गया। यूपी टीईटी 2011 का परीक्षाफल प्रकाशित होते ही कई तरह की
गड़बड़ियां सामने आने लगीं।
आरोप है कि तत्कालीन शिक्षा निदेशक तथा
उनसे जुड़े कई लोग परीक्षा की तैयार हुई मेरिट को धन उगाही कर प्रभावित
किया और बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को लाभ भी पहुंचाया। इसी आरोप में
तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजय मोहन आज भी जेल में बंद हैं। कम्प्यूटर कंपनी
के टीईटी परीक्षा संबंधित सारे रिकार्ड जांच एजेंसी ने सील कर रखा है। (साभार-डेली न्यूज एक्टिविस्ट)
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