शिक्षा का हक़ अभियान के अंतर्गत वालंटियर आने वाले हैं आपके स्कूल : जानकारी ही बचाव है
आरटीई (नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009) को
धरातल पर उतारने के लिए अब इसमें आड़े आ रही कमजोर कड़ियों का पता लगाया जा
रहा है। शिक्षा विभाग के सर्वो से इत्तेफाक न रखते हुए केंद्र सरकार ने खुद
सर्वे का बीड़ा उठाया है। प्राथमिक शिक्षा
में सुधार की खासी जरूरत है। इसके लिए महकमें ने शिक्षा का हक अभियान के तहत
वालंटियर की सेवा ली है। स्वैच्छिक रूप से गांवों में तैनात यही वालंटियर
महकमे को अपना फीड बैक उपलब्ध कराएंगे। प्रत्येक विकास खंड में 30-30
वालंटियर को तैनात किया गया है। उम्मीद यह की जा रही है कि वालंटियर
सकारात्मक सहयोग
करते हुए प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए फीड बैक उपलब्ध करावें। इन्हीं
की रिपोर्ट पर ही महकमें की सफलता टिकी हुई है। इसके लिए चयनित वालिन्टयर्स की टीमें बेसिक
शिक्षा परिषदीय विद्यालयों का सघन करने निकले हैं। सर्वे के लिए इनको
बकायदा मास्टर ट्रेनरों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है।
आपको बताते चलें कि वालंटियर सूचना प्रपत्र दो प्रतियों में तैयार करेंगे। एक प्रति विद्यालय व दूसरी प्रति खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। वालिन्टयर सर्वे में विद्यालयों में आरटीई के मानक अनुसार भौतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का पता लगाएंगे और 6 पेज के फार्मेट को भरेंगे। इसके बाद संकलित सूचनाएं ब्लाकों पर जमा होने के बाद वहां से जिला मुख्यालय पर आएंगी और राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। उस रिपोर्ट को केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा ताकि सर्वे में जो खामियां सामने आएं उनको दूर करने की कार्रवाई आगे बढ़ सके।
सर्व शिक्षा अभियान राज्य परियोजना निदेशालय से मिली गाइडलाइन में जो निर्देश दिए गए हैं, उनमें वालंटियर्स को आदर्श शिक्षक, अभिभावक, संरक्षक, समाजसेवक की तरह पेश आना है। तीन वालंटियर्स की टीम एक स्कूल की पड़ताल करके रिपोर्ट तैयार करेगी। गांव या वार्ड में घूमकर भी उन्हें समस्या का पता लगाना है। प्रार्थना स्थल को स्कूल की हर समस्या का मंच बनाने की कोशिश करना है। शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना उनकी खास जिम्मेदारी है। उनके लिए एक मीडिया किट दी जाएगी, जिसमें राइटिंग पैड, पेन, 20 ए4 साइज कागज, स्टेबलर, आलपिन, रबर, पेंसिल, कटर के अलावा बटन फोल्डर, कैप, शोल्डर बैग, टी शर्ट आदि होगी। वालिन्टयर को 878 रुपया टीए और 500 रुपये डीए का दिया जाएगा। टीमों को 2 माह में विद्यालयों का भ्रमण कर निर्धारित प्रारूप पर अपनी आख्या जमा करनी होगी।
आपको बताते चलें कि वालंटियर सूचना प्रपत्र दो प्रतियों में तैयार करेंगे। एक प्रति विद्यालय व दूसरी प्रति खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। वालिन्टयर सर्वे में विद्यालयों में आरटीई के मानक अनुसार भौतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का पता लगाएंगे और 6 पेज के फार्मेट को भरेंगे। इसके बाद संकलित सूचनाएं ब्लाकों पर जमा होने के बाद वहां से जिला मुख्यालय पर आएंगी और राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। उस रिपोर्ट को केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा ताकि सर्वे में जो खामियां सामने आएं उनको दूर करने की कार्रवाई आगे बढ़ सके।
सर्व शिक्षा अभियान राज्य परियोजना निदेशालय से मिली गाइडलाइन में जो निर्देश दिए गए हैं, उनमें वालंटियर्स को आदर्श शिक्षक, अभिभावक, संरक्षक, समाजसेवक की तरह पेश आना है। तीन वालंटियर्स की टीम एक स्कूल की पड़ताल करके रिपोर्ट तैयार करेगी। गांव या वार्ड में घूमकर भी उन्हें समस्या का पता लगाना है। प्रार्थना स्थल को स्कूल की हर समस्या का मंच बनाने की कोशिश करना है। शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना उनकी खास जिम्मेदारी है। उनके लिए एक मीडिया किट दी जाएगी, जिसमें राइटिंग पैड, पेन, 20 ए4 साइज कागज, स्टेबलर, आलपिन, रबर, पेंसिल, कटर के अलावा बटन फोल्डर, कैप, शोल्डर बैग, टी शर्ट आदि होगी। वालिन्टयर को 878 रुपया टीए और 500 रुपये डीए का दिया जाएगा। टीमों को 2 माह में विद्यालयों का भ्रमण कर निर्धारित प्रारूप पर अपनी आख्या जमा करनी होगी।
प्रत्येक यूआरसी और बीआरसी स्तर 30 वालिन्टयर्स का चयन किया गया है।
सर्वे के लिए इनकी 3-3 की टोली बनाई गई है, यानी एक नगर या ब्लाक क्षेत्र में
कुल 10 टीमें गठित की गयी हैं। अब मान लो किसी ब्लाक में 200 विद्यालयों का
सर्वे करना है तो एक-एक टोली के जिम्मे 20-20 विद्यालय होंगे।
कैसा होगा सर्वे?
- भौतिक तथा मानव संसाधन : शिक्षकों की उपलब्धता, आरटीई के अनुसार शिष्य-अध्यापक अनुपात।
- विद्यालय में प्रधानाध्यापक, हर शिक्षक के लिए एक कक्षा।
- एक कार्यालय : सह भंडार, सह प्रधानाध्यापक कक्ष। बिना बाधा के पहुंच।
- लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय।
- सभी बच्चों के लिए पर्याप्त साफ सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था।
- मध्याह्न भोजन के बनाने के लिए एक रसोईघर की उपलब्धता।
- खेल मैदान की उपलब्धता, गेट सहित चहारदीवारी की उपलब्धता।
- विद्यालय में पुस्तकालय, अध्यापक निजी ट्यूशन में संलग्न नहीं।
- 8 वर्षीय प्रारंभिक शिक्षा के लिए किसी बच्चे से किसी प्रकार की फीस का वहन नहीं किया जाता।
- क्या सभी बच्चों को मुफ्त यूनीफार्म, पाठ्य पुस्तकें, मध्याह्न भोजन उपलब्ध है?
- कक्षा का वातावरण तथा पाठ्यक्रम व उसका पूरा किया जाना।
- प्रति सप्ताह प्रति शिक्षक के कार्यकारी घंटे, सभी कक्षों में सहायक शिक्षण सामग्री, कार्नर की उपलब्धता।
- शिक्षक नियमित व समय पर उपस्थित होते हैं।
आरटीई में शिक्षक का मानक
- कक्षा 1 से 5 तक के हर विद्यालय में 60 बच्चों तक 2 अध्यापक। 61-90 के मध्य 3 अध्यापक। 91-120 के मध्य 4 अध्यापक। 121-200 बच्चों पर 5 अध्यापक। 150 बच्चों से अधिक पर 5 अध्यापक एवं प्रधानाध्यापक होंगे तथा 200 से अधिक बच्चे होने पर छात्र-शिक्षक अनुपात (प्रधानाध्यापक को छोड़कर) 40 से अधिक नहीं होगा।
- कक्षा 6 से 8 के लिए कम से कम प्रति कक्षा विज्ञान, अंग्रेजी और
गणित, सामाजिक अध्ययन, भाषा का एक शिक्षक हो। प्रत्येक 35 बच्चों के लिए कम
से कम एक शिक्षक। जहां 100 से अधिक बच्चों का प्रवेश दिया गया है वहां एक
पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक होगा जबकि अंशकालिक अनुदेशक- कला शिक्षा,
स्वास्थ्य एवं शारीरिक, कार्य शिक्षा के लिए होगा।
शिक्षा का हक़ अभियान के अंतर्गत वालंटियर आने वाले हैं आपके स्कूल : जानकारी ही बचाव है
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
11:38 PM
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