शिक्षक भर्ती : उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने का फैसला

  • पिछले साल के आवेदनों को मान्य करने के आदेश के खिलाफ विशेष अपील करेगा बेसिक शिक्षा विभाग
  • उच्च अधिकारियों की बैठक में हुआ फैसला
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पिछले साल सहायक अध्यापकों की भर्ती के आवेदनों को मान्य करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग हाई कोर्ट में विशेष अपील करेगा। मंगलवार को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार की अध्यक्षता में हुई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में हाई कोर्ट के आदेश के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करने के बाद यह फैसला किया गया।
उच्च न्यायालय ने 21 दिसंबर को आदेश में कहा है कि जिन अभ्यर्थियों ने पिछले साल सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए प्रकाशित विज्ञापन के तहत आवेदन जमा किये थे, उनसे उन जिलों के लिए न तो नए आवेदन लिए जाएं और न ही शुल्क लिया जाए। पिछले साल प्रकाशित शिक्षक भर्ती के विज्ञापन में अभ्यर्थियों को पांच जिलों में आवेदन की छूट दी गई थी। उच्च न्यायालय के इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की बैठक में चर्चा के दौरान यह बिंदु सामने आया कि जब पिछले साल शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रकाशित विज्ञापन और संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया जा चुका है तो उसके तहत प्राप्त आवेदन मान्य कैसे होंगे।
पिछले साल शिक्षक भर्ती के लिए 30 नवंबर को प्रकाशित विज्ञापन में अभ्यर्थियों की उम्र 18 से 35 वर्ष निर्धारित की गई थी। बाद में सात दिसंबर 2012 को संशोधित शासनादेश के जरिये आयु सीमा को बदलकर 21 से 40 वर्ष कर दिया गया। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि पुराने आवेदनों को मान्य किया गया तो 18 से 20 वर्ष तक की आयु वाले अभ्यर्थी भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे। वहीं इस साल पांच दिसंबर को प्रशिक्षु अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी शासनादेश में अभ्यर्थियों की आयु सीमा 21 से 40 वर्ष रखी गई है।
बैठक में चर्चा हुई कि पिछले साल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों से प्राप्त हुए बैंक ड्राफ्ट संबंधित जिले के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के खाते में जमा किये गए थे। चूंकि पिछले साल की भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी, इसलिए शासन ने 31 अगस्त को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को अभ्यर्थियों के आवेदन शुल्क की धनराशि उन्हें लौटाने के बारे में पत्र लिख चुका है। अधिकारियों के मुताबिक इस बारे में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा धनराशि लौटाने की कार्यवाही की जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश को मानने में एक व्यावहारिक दिक्कत यह भी है कि पिछले साल के आवेदन रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए थे जबकि इस साल प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। ऑफलाइन और ऑनलाइन आवेदनों को एक साथ मिलाने पर चीजें सुलझने की बजाय उलझेंगी। पिछले साल हुए आवेदनों में एक ही बैंक ड्राफ्ट पांच जिलों के लिए मान्य ठहराया गया था लेकिन इस साल अलग-अलग जिलों के लिए अलग-अलग ई-चालान जमा करने की व्यवस्था है।
बैठक में विचार विमर्श के बाद सर्वसम्मति से तय हुआ कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में कई प्रकार की व्यावहारिक दिक्कतें हैं। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में विशेष अपील दायर करने का निर्णय हुआ है।
शिक्षक भर्ती : उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने का फैसला Reviewed by Brijesh Shrivastava on 12:03 AM Rating: 5

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